यह है इस बर्ड फीडर की खासियत
इस बर्ड फीडर की खासियत यह है कि इसे ₹20 की लागत से बनाया गया है और वेस्ट पाइप और कंट्रोलर के जरिए इस बर्ड फीडर में पानी की सप्लाई ऑटोमेटिक होती रहने के कारण पानी खत्म नहीं होगा। इस प्रकार ऊंचे स्थानों पर बर्ड फीडर लगाकर भरी गर्मी में प्रत्येक दिन पानी डालने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
पानी के सकोरे लगाने का लिया संकल्प
महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर शिवकुमार शर्मा ने भी सकोरे लगाने का संकल्प लिया है। सिर्फ इतना ही नहीं, वालंटियर्स ने पक्षियों के लिए अपने घरों पर भी मिट्टी के सकोरे लगाए हैं। महाविद्यालय में बर्ड फीडर बनाने के साथ ही पक्षियों के जगह-जगह पर पानी और दाने की व्यवस्था की गई है।
छात्रों के कार्य को सराहना मिली
महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा यह नेक कार्य है और इसके लिए पूरी रासेयो इकाई को बधाई देते हुए इनोवेटिव आइडिया की प्रशंसा की। उनका कहना था कि जल ही जीवन है, गर्मियों में पक्षियों को पानी नहीं मिलने से प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। एक छोटी सी कोशिश हम सभी को करनी ही चाहिए। रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष ने भी ऑटोमेटिक वाटर बर्ड फीडर की सराहना की।
वनस्पति और जल स्रोतों की कमी के कारण गौरैया जैसे कई पक्षी विशेष रूप से गर्म दिनों में प्यास और भूख से मर जाते हैं। यहां तक कि ठंड के दिनों में भी पक्षियों को भोजन कम मात्रा में मिलता है। विश्व जैव विविधता दिवस पर हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम सभी पक्षियों के लिए अपने घर के पास दाना और पानी रखें।