इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और रंगीन मछली उत्पादन केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि रोहू, कतला, मृगल जैसी लोकल मछलियों के स्पान तैयार करने के साथ रंगीन मछली की भी पैदावार शुरू की गई। विश्वविद्यालय में प्रदेश के युवाओं और किसानों को भी रंगीन मछली पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है। विश्वविद्यालय के मत्स्य केंद्र से ट्रेनिंग लेकर 20 परिवार के 50 से ज्यादा लोग अपनी आजीविका चला रहे हैं।
कोलकाता से लाई गई थी रंगीन मछलियां
कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि विश्वविद्यालय में रंगीन मछली उत्पादन केंद्र बनाने के लिए कोलकाता से मछली लाई गई थी। कोलकाता से 14 रंगीन प्रजातियों को लाकर केंद्र में ब्रीडिंग की गई, जिनमें से 9 प्रजातियों में सफलता मिली है। वर्तमान में मत्स्य विभाग के प्रशिक्षु गोल्ड फिश, ओरानडा, काले मोर, मलीना कार्फ, मिल्की फिश, टाइगर बार्ब, मौली, गप्पी, सोइटेल की पैदावार की जा रही है
2017 में रंगीन मछलियों का प्रयोग हमने शुरू किया था। 14 प्रजाति पर हमने रिसर्च की थी और 9 में सफलता मिली है। रंगीन मछलियों की खेती अब किसानों और प्रदेश के युवाओं को सिखा रहे है। वर्तमान में 20 परिवार ट्रेनिंग ले रहे हैं। राजधानी के जिन लोगों ने प्रशिक्षण लिया है, वे खुद राजा तालाब इलाके में दुकान संचालन करके मछलियों की बिक्री कर रहे है और खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर रहे हैं।
डॉ. एस सासमल, प्रभारी, रंगीन मछली उत्पादन केंद्र, कृषि विवि