खनिज विभाग में रॉयल्टी क्लीयरेंस देखने वाले बाबू को 15 साल से ज्यादा का समय गुजर गया, लेकिन ट्रांसफर नहीं हुआ था। जब फर्जी रॉयल्टी पर्ची से क्लीयरेंस का मामला खुला तब पुलिस ने बाबू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मामले की जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि जिम्मेदार बाबू ने रॉयल्टी क्लीयरेंस से जुड़ा पूरा रिकार्ड गायब कर दिया था।
कमिश्नर ने सभी विभाग प्रमुखों से कहा था अपने-अपने विभागों में ऐसे लिपिकों की सूची तैयार कर लें, जिन्हें एक ही जगह पर ढाई से तीन साल हो गए हैं। सूची तैयार होने के साथ ही आला अफसरों द्वारा इन लिपिकों का प्रभार बदला जाए। अहम बात यह है कि कमिश्नर के आदेश के सात माह बाद भी विभाग प्रमुखों ने सूची तक नहीं दी है।
कमिश्नर ने अपने पत्र में कहा था कि शासन की मंशा रही है कि जिला और स्थानीय प्रशासन में ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे लिपिकों को सभी शाखाओं के कामों की जानकारी हो। इससे भविष्य में भी उनसे किसी भी विभाग में बेहतर काम लिया जा सकेगा। अभी अधिकतर लिपिक एक ही शाखा और टेबल में लंबे समय से रहने के कारण कार्यालयों की अन्य शाखाओं के कामों का ज्ञान नहीं ले पाते।
जीआर चुरेंद्र, आयुक्त, रायपुर संभाग