इसके अलावा छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता या अतिरिक्त महाधिवक्ता, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव, महानिदेशक जेल (नक्सल ऑपरेशन प्रभारी), पुलिस महानिदेशक और बस्तर संभाग के कमिश्नर इस समिति के सदस्य होंगे। मालूम हो कि बस्तर संभाग में माओवादियों के नाम पर आदिवासियों को प्रताडि़त करने के आरोप लगते रहे हैं। चुनाव के पहले कांग्रेस ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को दर्ज मुकादमों की जांच कराने का वादा किया था।
गौरतलब है कि बस्तर की जेलों में नक्सल गतिविधियों को लेकर करीब डेढ़ हजार आदिवासी बंद है। इसमें सबसे ज्यादा जगदलपुर की जेल में बंद है, इसके बाद दंतेवाड़ा फिर सुकमा, कांकेर आदि।