ये होंगे प्रमुख बदलाव-
– अब तक अनारक्षित वर्ग के आवेदक को आवेदन करने के लिए 12वीं में 45 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 40 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता थी। अब इसे समाप्त करते हुए सभी के लिए 45 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिए हैं।
– काउंसिलिंग की प्रक्रिया चार चरणों से अधिक नहीं होगी। यानी अब निजी नर्सिंग कॉलेजों के संचालक सीट न भरने की स्थिति में काउंसिलिंग की समय-सीमा बढऩे का दबाव नहीं बना सकेंगे। – पाठ्यक्रमों को भी रिवाइज करने के निर्देश दिए गए हैं।तीन साल में 2789 सीट हुई लैप्सबीते तीन साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2017-18 में 1483, 2018-19 में 900 और 2019-20 में 398 सीट लैप्स हुईं। हालांकि इन आंकड़ों के मुताबिक लैप्स होने वाली सीटों की संख्या घट रही है, वह इसलिए क्योंकि काउंसिलिंग तय चार चरणों के बजाए आठ-आठ बार काउंसिलिंग करवाई गई।
अभी से अलर्ट, दलालों का झांसे में न आएं- नर्सिंग काउंसिलिंग एजेंसी चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने अभी से युवाओं को चेतावनी जारी कर दी है। कहा गया है कि अगर कोई जालसाज, दलाल या निजी कॉलेज नर्सिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलवा रहा है तो इनके झांसे में न आएं। न ही इनसे कोई लेन-देन करें। नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश सिर्फ व्यापमं द्वारा ली जाने वाली प्रवेश प्रक्रिया के तहत ही हो होगा। गौरतलब है कि इस साल भी सैंकड़ों छात्र इनके झांसे में फंस चुके हैं।
आईएनसी से एक सकुर्लर प्राप्त हुआ है। जिसमें प्रवेश नियमों में काफी बदलाव का उल्लेख है। अभी राज्य स्तर पर निर्णय होना बाकी है। विचार किया जा रहा है। डॉ. जीतेंद्र तिवारी, प्रवक्ता एवं सदस्य काउंसिलिंग कमेटी, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय