अब तो पहले से और भी ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है। क्योंकि हमने जरा भी लापरवाही बरती, तो यह वायरस पलटवार कर सकता है। दुनिया के कई देशों में इसके प्रमाण मिलते हैं। छत्तीसगढ़ ने भी। उधर, विशेषज्ञ और खुद सरकार मान रही है कि यह पीक नहीं है।
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बहरहाल, राज्य में कोरोना संक्रमण का फैलाव थोड़ा कम जरूर हुआ है। इसे प्रमाणित करते हैं, सरकारी आंकड़े। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 10 सितंबर को प्रदेश का रिकवरी रेट (मरीजों के स्वस्थ होने की दर) 45.4 प्रतिशत जा पहुंची थी। जो सबसे न्यूनतम थी।
मगर, आज यह दर 78.8 प्रतिशत पर है। 6 जुलाई को रिकवरी रेट अपने उच्चतम स्तर 80.0 प्रतिशत पर रहा। राज्य में 64 दिनों के बाद दोबारा रिकवरी रेट 80 प्रतिशत की ओर बढ़ रहा है। हालांकि मौत के आंकड़ों में गिरावट दर्ज नहीं हो रही। अब तक 1158 मौतें हो चुकी हैं। मृत्युदर 0.86 प्रतिशत पर है।
छत्तीसगढ़ में हुआ था कोरोना का पलटवार-
14 मई को मजदूरी की वापसी के पहले राज्य कोरोना फ्री राज्य की तरफ बढ़ ही रहा था। मगर, उसके बाद एक-एक करके जो कोरोना ब्लॉस्ट हुए, राज्य में अब तक 1.35 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। 1160 से अधिक की जान चली गई। सैंकड़ों गंभीर हैं। 27 हजार एक्टिव मरीज हैं। इसके बाद विदेश से लौटे छात्रों से संक्रमण फैला और घर के एक सदस्य से पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है।
एंटीबॉडी ही नहीं मिली-
राज्य में आईसीएमआर द्वारा कि गए सीरो सर्वे कहता है कि अभी सिर्फ 5.56 प्रतिशत लोगों में ही एंटीबॉडी मिली हैं। इसलिए कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा बरकरार है। यानी 2020 छोडि़ए, जो गुजर रहा है। हमें 2021 में भी पाबंदियों में रहना होगा। नियमों का शत-प्रतिशत पालन करना होगा। तभी कोरोना पर जीत संभव होगी।
किसके लिए क्या चुनौती
सरकार ध्यान दें- सरकार को निश्चित तौर पर सैंपलिंग, टेस्टिंग और इलाज की सुविधाएं बढ़ाने की जरुरत है। मगर, अब निजी अस्पतालों को नॉन-कोविड मरीजों के एंटीजन टेस्ट की इजाजत दी जाए। एंटीजन टेस्ट न होने की वजह से मरीज भटकते हैं। इलाज में देरी होती है। जो मरीजों के हित में नहीं। कोविड की तैयारियां ऐसी रखें कि नॉन-कोविड की व्यवस्था प्रभावित न हो।
(- डॉ. महेश सिन्हा, इलेक्टेड प्रेसीडेंट आईएमए के अनुसार)
नागरिक ध्यान रखें- कोरोना काल के ७ महीने बीत चुके हैं। हर किसी को कोरोना के बारे में कम से कम इतनी जानकारी तो है, कि इससे कैसे बचा जा सकता है। बस हमें यह ध्यान रखना है कि भले ही १ लाख लोग स्वस्थ हुए हों, मगर अभी लड़ाई लंबी है। मास्क का नियमित इस्तेमाल, सोशल डिस्टेसिंग का पालन, कम से कम यात्रा करना और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना और साबून से हाथ धोना है।
(- डॉ. कमलेश जैन, सदस्य, कोरोना कोर कमेटी के अनुसार)
एक्सपर्ट व्यू-
अभी पीक का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। आने वाले २-३ हफ्ते मरीजों के मिलने की दर, रिकवरी रेट पर फोकस करना होगा। वर्तमान में संकेत अच्छे हैं। बस ध्यान यही रखना होगा कि हम नियमों-निर्देशों की अनदेखी कतई न करें।
-डॉ. निर्मल वर्मा, विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी मेडिसिन, पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर
केंद्र सरकार से मिले निर्देशों के तहत सैंपलिंग, टेस्टिंग की जा रही है। अभी प्राथमिकता यही है कि लक्षण वाले मरीजों की समय पर पहचान कर, इलाज मुहैया करवाया जाए। इसमें देरी न हो।
-नीरज बंसोड़, संचालक, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं
कोरोना के पीक को लेकर आज की स्थिति में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। इसके लिए 2-3 हफ्ते तक आंकड़ो के ग्राफ को देखना होगा। अगर ये स्थिर रहते हैं तो यह कहा जा सकता है कि अब कमी आएगी। फिलहाल वैट-एंड-वॉच की स्थिति है।
-डॉ. नितिन एम. नागरकर, निदेशक, एम्स
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