लॉकडाउन वन में ही मजदूरों की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित हो जाती तो छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में कहीं भी क्वारेंटाइन सेंटर प्रवासी मजदूरों के नाम से बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। प्रवासी श्रमिकों को मोदी सरकार के अमानवीय व्यवहार,असंवेदनशीलता और यातना प्रताडऩा झेलना नहीं पड़ता।
घर वापसी के प्रयास में मजदूरों की भूख, प्यास ,तबियत बिगडऩे और दुर्घटनाओं में मौत नहीं होती। मजदूरों के मासूम बच्चे व गर्भवती महिलाओं को कोसो दूर बिना जूता-चप्पल नंगे पांव सड़कों पर भटकना नही पड़ता। महामारी आफ़तकाल में मोदी सरकार के लापरवाही गैरजिम्मेदाराना रवैया हठधर्मिता जिद्द के चलते देशभर में 600 से अधिक मजदूरों की अकाल मृत्यु हुई है।