उन्होंने कहा कि कांग्रेस खनिजों से समृद्ध इस राज्य में 2018 के चुनावों में ‘सामूहिक नेतृत्व’ पर भरोसा करेगी और अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो चुने गए विधायक अपना नेता बहुमत से चुनेंगे। 72 वर्षीय पुनिया ने पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधे मिलने के लिए राज्य के सभी 27 जिलों के तूफानी दौरे की योजना बनाई है।उन्होंने कहा, “लोग भाजपा के भ्रष्टाचार और गलत व्यवहार से तंग आ चुके हैं। कांग्रेस के लिए 2018 में दोबारा सत्ता में आने का उचित मौका है।”
कांग्रेस 2003 में सत्ता से बाहर हुई थी, जब अजीत जोगी के नेतृत्व में पार्टी की सरकार थी। उसके बाद से कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है।कांग्रेस को उस समय 2013 में तगड़ा झटका लगा था, जब प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत 30 लोग बस्तर में नक्सलियों के हमले में मारे गए थे।कांग्रेस में कई लोगों का कहना है कि पटेल की मौत के बाद पार्टी में कोई नेता ऐसा नहीं है, जिसे सभी लोग स्वीकार करें।कांग्रेस को 2016 में एक और झटका लगा, जब अजीत जोगी ने अपनी अलग पार्टी बना ली।
2018 विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि 2003 के बाद से वह सत्ता से बाहर है। 2013 में वह कुछ सीटों से हार गई थी। जबकि बस्तर संभाग से उसे अच्छा बहुमत मिला था। हालांकि उस चुनाव में हार को मोदी लहर भी कह सकते हैं लेकिन ये आगामी चुनाव में कांग्रेस के पास अच्छा मौका है। यदि बिना किसी भीतरघात के कांग्रेस मैदान में उतरती है तो छत्तीसगढ़ में सरकार बनाना मुशि्कल नहीं होगा।