राजधानी के रावांभाठा सुदर्शन आश्रम में महाराज ने कहा कि जब हम विश्व का कल्याण चाहते हैं तो उसमें सब समाहित हैं। किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में लग जाना है। महाराज धर्म वाहिनी और आदित्य वाहिनी की सदस्यों की जिज्ञासाओं को भी शास्त्रों को उद्घृत करते हुए समझाया। आश्रम में प्रतिदिन सुबह 11 से 2 बजे तक दर्शन, दीक्षा, पादुका पूज, हिन्दू राष्ट्र संगोष्ठी चल रही हैं। शाम को 6 बजे से महाराज प्रवचन एवं धर्म व राष्ट्र के लिए जरूरी सनातन मानबिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं।
शासन तंत्र से समाज निर्माण की उम्मीद नहीं की जा सकती शंकराचार्य ने कहा कि हमारी सनातन व्यवस्था शास्त्र सम्मत सिद्धांतों पर आधारित है। समाज का निर्माण सुसंस्कारित, सुशिक्षित, सुसंस्कृति आचार-विचार की दृढ़ता से होता है। तभी राम राज्य की व्यवस्था आती है। एेसा काम सरकारें नहीं कर सकती हैं। हर परिवार अपने बच्चों को सनातन संस्कृति के अनुरूप शिक्षित करे। तभी सामाजिक, आर्थिक वातावरण बनेगा, यही तो हिंदू राष्ट्र है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो, जिसमें युवा शक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है। परंतु आज युवा शक्ति दिग्भ्रमित है, निराशाग्रस्त है।
युवाओं के लिए प्रशिक्षण सत्र चलेगा शंकराचार्य ने शिष्यों से कहा कि युवाओं स्थापित आदित्य वाहिनी, आनंद वाहिनी, धर्म संघ पीठ परिषद से जोड़ो। उन्हें प्रशिक्षित कर राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करो। समय दुर्लभ है, उसका सदुपयोग करो। इन संगठनों और सेवा प्रकल्पों से जोडऩे की बात कही गई।
आगे क्या कार्यक्रम होंगे आचार्य झम्मन प्रसाद शास्त्री ने बताया कि शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती हिंदू राष्ट्र निर्माण अभियान में निकले हुए हैं। रायपुर के बाद 25 फरवरी को मध्यप्रदेश में हिंदू राष्ट्र निर्माण संगोष्ठी करेंगे। इस वर्ष 22 से 26 जून को महाराज का प्रकाट्य महोत्सव भाठापारा में मनेगा। 23वां साधना शिविर पुष्कर तीर्थ राजस्थान में आयोजित होगा।