राज्य सड़क विकास निगम द्वारा 2018-19 में स्टेशन से शदाणी दरबार तक छोटी रेल लाइन पर 12 किमी लंबी एक्सप्रेस-वे सड़क बनाई गई। पिछली सरकारं ने गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए भोपाल की मेसर्स लॉयन इंजीनियरिंग कङ्क्षसलटेंट को नियुक्त किया था। इस सड़क के पांच क्रासिंग फाफाडीह, देवेंद्र नगर, पंडरी बस स्टैंड, शंकरनगर, अवंतिविहार तेलीबांधा रिंग रोड को जोड़ते हुए ओवरब्रिज के दायरे वाली सड़क पहली बरसात में ही दरककर धंस गई। जुलाई में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होने पर शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसके बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सड़क विकास निगम के तत्कालीन महाप्रबंधक जीएस सोलंकी को हटाया।
14 अगस्त को उच्चस्तरीय जांच का हुआ आदेश पीडब्ल्यूडी मंत्री साहू ने 14 अगस्त को सामान्य प्रशासन विभाग की मुख्य तकनीकी परीक्षक सतर्कता विंग से उच्चस्तरीय जांच कराने का आदेश दिया था। इस कमेटी ने एनआईटी के विशेषज्ञों के साथ दो महीने तक जांच की। इसकी रिपोर्ट 11 नवंबर को शासन को सौंपी।
तीन फीट तक धंसी सड़क, 8 महीने से ट्रैफिक बंद तेलीबांधा में एक्सप्रेस-वे के ओवरब्रिज पर सड़क तीन फीट तक नीचे धंस गई। इसे एनआईटी के विशेषज्ञों ने अगस्त में ही खतरनाक घोषित कर दिया था। दो महीना पहले तोड़कर फिर से बनाने का काम शुरू कराया गया, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई ठंडे बस्ते में थी। विधानसभा सत्र के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक धनेंद्र साहू, जोगी कांग्रेस के विधायक धरमजीत सिंह ने उठाया, जिस पर कार्रवाई किए जाने का भरोसा मंत्री ने दिया था।
दो करोड़ भुगतान, एक करोड़ रोके राज्य सड़क विकास निगम के तत्कालीन प्रबंध संचालक अनिल राय ने एक्सप्रेस-वे सड़क के लिए भोपाल की कंपनी मेसर्स लॉयन इंजीनियरिंग के साथ 3 करोड़ रुपए में अनुबंध किया था। जिसमें से कंसल्टेंट को 2 करोड़ भुगतान किया जा चुका है। बकाया एक करोड़ रुपए का भुगतान रोकने का आदेश हुआ है।
एक्सप्रेस-वे सड़क निर्माण की रिपोर्ट को देखते हुए कंसल्टेंट के खिलाफ आदेश जारी किया है। इसके तहत अनुबंध समाप्त करने के साथ ही बकाया भुगतान नहीं किया जाएगा। सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, सचिव पीडब्ल्यूडी