बुजुर्ग त्रिगुणा तिवारी ने बताया कि वे दो माह पहले ही अगस्त में बिहार के सिवान से भिलाई अपने बेटे के घर आए थे। आराम से रह रहे थे। इस बीच तबीयत बिगड़ी तो कोरोना जांच करवाई। इसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई। परिवार के सदस्य परेशान हो गए। ईश्वर से प्रार्थना कर कोविड केयर सेंटर आईएमआई अस्पताल, खुर्सीपार जाने की तैयारी कर ली।
जब तबीयत ठीक हो गई और शुक्रवार को सुबह घर लेकर जाने परिवार वाले पहुंचे तो उस वक्त की खुशी का ठिकाना नहीं था। कार से घर के अंदर किसी चेयर में नहीं गए, पहले की तरह खुद चलकर भीतर पहुंचे। अपने घर में कदम रखते ही पहले स्नान किए और फिर भोजन किया। उन्होंने बताया कि अब ठीक वैसे लग रहा है, जैसे गांव से लौटे थे तब लग रहा था।
बुजुर्गों के लिए कोरोना के जंग को हराना आसान नहीं है। दंपती को पहले से बीपी, शुगर जैसी कोई बीमारी नहीं है। इस वजह से वे यह जंग 50 फीसदी पहले ही जीत चुके थे, अस्पताल में रहकर चिकित्सकों की सलाह को मानते हुए समय पर दवा, भोजन वगैरह लिया। इसका असर है कि अब अपने परिवार के बीच पहुंच गए हैं।