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कोरोना मरीजों पर खूब हुआ प्लाज्मा थेरेपी का एक्सपेरिमेंट, मृत्यु दर भी बढ़ी… इसलिए अब प्रतिबंधित

locationरायपुरPublished: May 19, 2021 06:59:03 pm

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CG Desk

– प्रदेश के 5-6 निजी संस्थानों में दी जा रही है प्लाज्मा थैरेपी, सरकारी में अनुमति नहीं .विशेषज्ञ बोले- जान बचाने के लिए निर्णय डॉक्टर पर छोड़ा जाए, सही मरीज, सही डोनर के चयन से यह कारगर है .सूत्र- परिणाम अपेक्षा अनुरूप न होने, मृत्युदर बढऩे के चलते कई संस्थानों ने पहले ही थैरेपी देना बंद कर दिया था .

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‘पत्रिका’ इंवेस्टीगेशन –

रायपुर . केंद्र सरकार की ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के लिए गठित नेशनल टॉस्क फोर्स ने कोरोना मरीजों के इलाज के प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थैरेपी को हटा दिया है। आईसीएमआर और एम्स नईदिल्ली ने पहले जहां रेमडेसिविर, टोसिलीजूमाब और प्लाज्मा थैरेपी के केवल ऑफ लेवल यूज की मान्यता थी। अब इसे प्रतिबंधित कर दिया है। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी जल्द प्रतिबंध का सर्कुलर जारी करने जा रहा है। यह बड़ा फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि कोरोना मरीजों पर इस थैरेपी का एक्सपेरीमेंट शुरू हो गया था। मरीजों की जान तक चली जा रही थी।
छत्तीसगढ़ में कई अस्पताल धडल्ले से मरीजों को थैरेपी दे रहे थे। यह ठीक रेमडेसिविर की तरह ही इस्तेमाल की जा रही थी कि मरीज प्लाज्मा लाकर दे रहे थे, डॉक्टर चढ़ा दे रहे थे…। जबकि यह हर कोरोना मरीज पर कारगर नहीं है।
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‘पत्रिका’ पड़ताल में सामने आया कि अकेले रायपुर और दुर्ग में बीते डेढ़ 2 महीने में 2 हजार से अधिक प्लाज्मा यूनिट दान की गईं। मगर, स्वास्थ्य विभाग न ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के पास कितने मरीजों को प्लाज्मा दिया गया और कितने ठीक हुए, इसका कोई रेकॉर्ड है। हालांकि पूर्व में कुछ डॉक्टरों ने दोनों विभागों से मांग की थी कि इसका एक सरकारी ड्राफ्ट बनाया जाए, ताकि इसके मिस यूज को रोका जा सके। मगर, इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

वायरस ने बदला प्रभाव इसलिए यह कारगर नहीं
‘पत्रिका’ पड़ताल में सामने आया कि मरीज कोरोना की पहली लहर में रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के कुछ संस्थानों ने प्लाज्मा थैरेपी शुरू की थी। तब परिणाम अच्छे थे, क्योंकि तब मरीज जल्द स्वस्थ हो रहे थे। मगर, आज वायरस म्युटेड कर चुका है। यह पहले से 4-5 गुना तक घातक साबित हो रहे है। इसलिए यह कारगज नहीं रह गई है। मगर, डॉक्टर मानते हैं कि इस थैरेपी को दिए जाने का फैसला डॉक्टरों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए, उच्च स्तर पर इसकी मॉनीटरिंग होनी ही चाहिए।

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अभी 1200 से अधिक लोगों को प्लाज्मा डोनेशन करवाया है। मगर, कल इसे आईसीएमआर और एम्स ने अपने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटाया है, उसके बाद डोनेशन रोक दिया गया है।
– रजत अग्रवाल, कुछ फर्ज हमारा भी (प्लाज्मा डोजेशन में मदद करने वाली संस्था)

क्या कहते हैं विशेषज्ञ-

प्लाज्मा थैरेपी मॉडरेट अवस्था वाले मरीज, जिन्हें शुरुआत में ऑक्सीजन की जररुत पड़ रही है उन्हें ही देने से लाभ है। सिलेक्शन क्राइटेरिया सबसे अहम है। गंभीर मरीजों में यह उतनी कारगर नहीं है। अगर, पहले ही सख्त गाइडलाइन बनाती तो मिस यूज नहीं होता। इसे फिजिशियन के डिसीजन पर छोडऩा चाहिए।
– डॉ. नीलेश जैन, हेड, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, बालको मेडिकल सेंटर
प्लाज्मा थैरेपी के गैर जरूरी इस्तेमाल के चलते वायरस के और भी अधिक खतरनाक होने की आशंका मानी जा रही है। वायरस म्युटेट हो रहा है। इसके मिस यूज को रोके जाने की सख्त जरुरत थी।
डॉ. पंकज ओमर, क्रिटिकल केयर हेड, श्रीनारायणा हॉस्पिटल रायपुर
मंगलवार या फिर बुधवार तक हम प्लाज्मा थैरेपी के प्रतिबंध से संबंधित सर्कुलर जारी कर देंगे। निश्चित तौर पर कुछ मिस यूज भी हो रहा था। ब्लड बैंक इसका डाटा मैंटेन कर रहे हैं।
हिरेन पटेल, सहायक औषधि नियंत्रक, राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग

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