इसके प्रमाण आंकड़े हैं। 13 नवंबर को 1,817 मरीज रिपोर्ट हुए, जबकि 14 नवंबर को 716 और 15 नवंबर को 530 मरीज मिले। 16 नवंबर को आंकड़े बढऩा हजार पार हुआ और १७ नवंबर को 17 सौ के पार। डॉक्टरों का मानना है कि यह वे लोग थे जो 10-12 नवंबर के बीच संक्रमित हुए होंगे, और लक्षण 13, 14 और 15 नवंबर को दिखा होगा।
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मगर, वे लोग जो दीवाली की खरीददारी में संक्रमित हुए, उनके लक्षण 20-22 नवंबर से दिखने शुरू होंगे। यानी संक्रमण का बढ़ेगा। वह भी हमारी-आपकी गैरजिम्मेदारी की वजह से। एम्स, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल और प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भर्ती हो रहे कोरोना के अधिकांश मरीज गंभीर हैं।
सोचिए, हम क्यों बन रहे कोरोना के गंभीर मरीज?
प्रदेश में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए हम और आप जिम्मेदार हैं, शासन-प्रशासन नहीं। क्योंकि शासन-प्रशासन ने जांच और इलाज की व्यवस्था की हुई है। मगर, हमारी लापरवाही सब पर भारी पड़ रही है। हमें यह सोचना होगा कि हम या हमारे परिवार या हमारे आस-पड़ोस के व्यक्ति क्यों कोरोना के गंभीर मरीज बन रहे हैं। इसके सीधे-सरल ३ जवाब है।
1- पढ़े-लिखे होने के बावजूद लक्षणों को नजर अंदाज करना।
2- जांच न करवाना। मेडिकल स्टोर से सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार की दवा लेकर खाना।
3- झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाना, जो केस बिगडऩे पर हाथ खड़े कर देता है। तब तक मरीज गंभीर से अतिगंभीर स्थिति में पहुंच जाता है।
कहीं सही साबित न हो जाए आशंका
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा और कम्युनिटी मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल वर्मा ने दिवाली के ५-७ दिन बाद कोरोना मरीजों की संख्या बढऩे की आशंका जाहिर की थी। इनकी आशंका का आधार त्योहार में बाजार में उमड़ी भीड़ रही। जहां सोशल डिस्टेसिंग, मास्क और सेनिटाइजेशन जैसे नियमों का पालन नहीं हुआ। अगर इनकी आशंका सही साबित होती है तो आने वाला समय फिर कोरोना की चुनौती पेश करेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ अधिकारी-
पहले की तुलना में कोरोना केस कम हुए हैं, मगर जो अस्पताल आ रहे हैं वे गंभीर हैं। अगर, लक्षणों को समय पर पहचाना जाए। समय पर जांच और इलाज मिले तो मरीज गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचेगा। सर्दी, जुखाम, खांसी और बुखार को सामान्य फ्लू मानकर नजर अंदाज न करें। तभी बचाव है।
-डॉ. नितिन एम. नागरकर, निदेशक, एम्स रायपुर
वायरस का नेचर ही है कि वह सर्दी के मौसम में हावी होता है। मरीज कम हुए तो विभाग द्वारा तैयारियों में कोई कटौती नहीं की गई है। सभी जिलों को सतत निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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