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61 प्रतिशत एंटीजन और सिर्फ 33 प्रतिशत आरटी-पीसीआर टेस्ट, इसलिए कम मिल रहे कोरोना मरीज

locationरायपुरPublished: Dec 13, 2020 11:36:57 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

डॉक्टरों, विशेषज्ञों और खुद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट जितने अधिक होंगे, उतने ज्यादा लोगों के संक्रमित मिलने की संभावना होगी। क्योंकि वायरस खत्म नहीं हुआ है। गौरतलब है कि आरटी-पीसीआर 90 प्रतिशत से अधिक सटीक परिणाम देता है, जबकि एंटीजन 60 से 65 प्रतिशत तक।

रायपुर. प्रदेश में दिसंबर में रोजाना 30 से 35 हजार कोरोना टेस्ट हो रहे हैं, इनमें औसतन 1,375 लोगों में संक्रमण की पहचान हो रही है। ऐसे में यह सवाल उठता ही है कि आखिर अचानक मरीज कम क्यों मिलने लगे? ‘पत्रिका’ को इसके तर्कों के साथ कई जवाब हैं। जैसे- संक्रमण दर में कमी आना, वायरस लोड कम होना यानी कोरोना का प्रभाव घटना।

मगर, डॉक्टरों, विशेषज्ञों और खुद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट जितने अधिक होंगे, उतने ज्यादा लोगों के संक्रमित मिलने की संभावना होगी। क्योंकि वायरस खत्म नहीं हुआ है। गौरतलब है कि आरटी-पीसीआर 90 प्रतिशत से अधिक सटीक परिणाम देता है, जबकि एंटीजन 60 से 65 प्रतिशत तक।

अब होम आइसोलेशन वालों को अस्पताल बुला रहा विभाग, ठीक नहीं हो पाने की दलील

10 दिसंबर तक 16.80 लाख एंटीजन, 9.20 लाख आरटी-पीसीआर और 1 लाख एंटीजन टेस्ट हुए। कुल 27.70 लाख टेस्ट हुए। इनमें एंटीजन टेस्ट 61 प्रतिशत और आरटी-पीसीआर ३३ प्रतिशत हुए। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्य को आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि दोनों टेस्ट का प्रतिशत 50-50 हो। अब विभाग इसी दिशा में काम कर रहा है। एम्स रायपुर समेत 6 मेडिकल कॉलेजों में टेस्ट हो रहे हैं। 3 प्रस्तावित कॉलेजों में भी सरकार ने लैब स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। 5 निजी लैब में भी आरटी-पीसीआर टेस्ट हो रहे हैं।

अफसरों के मामलों में फेल हुए एंटीजन

‘पत्रिका’ ने आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों से बात की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई बड़े अधिकारियों के पहले एंटीजन टेस्ट करवाए, रिपोर्ट निगेटिव रही। मगर, उनका सीटी स्कैन करवाया और फिर आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाया तो वे पॉजिटिव पाए गए।

अधिकारी तो समझदारी दिखाकर आरटीपीसीआर टेस्ट करवा ले रहे हैं, मगर आम लोग एंटीजन में निगेटिव आने पर निगेटिव ही मानते हैं, भले ही लक्षण ही क्यों न हों? और फिर नियमों का पालन नहीं करते। इनकी यही नासमझी संक्रमण फैला रही है।

टेस्ट के प्रकार-

नाम- आरटी-पीसीआर टेस्ट

रिजल्ट- 90 से 94 प्रतिशत तक
शुल्क- सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क, निजी में 750 रुपए

– रियल टाइम पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट आज के समय में कोरोना टेस्ट का सबसे भरोसेमंद टेस्ट है। जिसके 92-95 प्रतिशत तक नतीजे सही होते हैं। संक्रमित के स्वैब सैंपल से डीएनए की नकल तैयार कर संक्रमण की जांच की जाती है।

नाम- एंटीजन टेस्ट

रिजल्ट- 60-65 प्रतिशत तक

शुल्क- सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क, निजी में 400 रुपए

– नाक से लिए सैंपल को लिक्विड में डाल टेस्ट किट में डाला जाता है। यह किट प्रेंग्नेसी टेस्टिंग किट जैसी ही होती है। 10-15 मिनट में व्यक्ति के संक्रमित होने या न होने की पुष्टि हो जाती है।

नाम- ट्रूनेट मशीन से जांच

रिजल्ट- 60-70 प्रतिशत तक
शुल्क- सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क, निजी में 1,600 रुपए

– यह एक स्वैब टेस्ट है लेकिन एक बार में 6-8 की ही जांच होती है। इसका नतीजे आने में 40 मिनट लग जाते हैं। यह टीबी जांच मशीन है।

एक्सपर्ट व्यू-

ऐसे कई मरीज हैं जिनका एंटीजन टेस्ट निगेटिव आया था, मगर जब आरटी-पीसीआर करवाया गया तो वे पॉजिटिव थी। उन्हें भर्ती तक करवाना पड़ा। अगर,लक्षण हैं और एंटीजन निगेटिव है तो आरटीपीसीआर करवाएं। इससे हम रिस्क से बच जाते हैं। इस टेस्ट को बढ़ाने की आवश्यकता है।

-डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष, टीबी एंड चेस्ट, आंबेडकर अस्पताल

सीधी बात-

आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाए जाने के प्रयास जारी हैं

-रेणु पिल्लई, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग

-केंद्र सरकार ने आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाने को कहा है?

– छत्तीसगढ़ अकेले को नहीं बल्कि केंद्र ने सभी राज्यों को आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ाने की बात कही है। इस दिशा में प्रयास जारी हैं।

-आने वाले 2-3 महीनों में विभाग का कोरोना संक्रमण को लेकर क्या पूर्वानुमान है?

– यह नया वायरस है इसलिए इसके बारे में कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। दिल्ली में देखा है कि ग्राफ ऊपर चढ़ता है तो कभी नीचे गिरता है। अभी हमारे यहां ट्रेंड गिरता हुआ बना हुआ है। बस मृत्युदर में कमी लानी है।

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