आंकड़ों की मानें तो जनवरी के 16 दिनों में प्रदेश में 12,671 मरीज मिले, जबकि 16,972 स्वस्थ होकर घर लौटे। यानी हर रोज औसतन 791 मरीज मिले, जबकि 1,060 ने रोजाना कोरोना को मात दी। ये आंकड़े राहत देने वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो आने वाले दिनों में संक्रमण दर में और गिरावट दर्ज हो सकती है।
टीका भले आ गया, मगर 3 बातें या रखें
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा कहते हैं कि भले ही कोरोना का टीका आ गया, मगर ये अभी सबको नहीं लग रहा है। इसलिए मास्क, सोशल डिस्टेसिंग और हाथ धोना न भूलें। जिन्हें टीका लग गया वे उन्हें भी इन नियमों का पालन करना है।
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पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा कहते हैं कि भले ही कोरोना का टीका आ गया, मगर ये अभी सबको नहीं लग रहा है। इसलिए मास्क, सोशल डिस्टेसिंग और हाथ धोना न भूलें। जिन्हें टीका लग गया वे उन्हें भी इन नियमों का पालन करना है।
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हर रोज 11 मौतें
प्रदेश में अभी भी हर रोज औसतन 11 मरीजों की जान जा रही है। इनमें 85 प्रतिशत मरीज अन्य बीमारी से पीडि़त थे। इम्युनिटी कम होने की वजह से कोरोना संक्रमित हुए। जांच और इलाज में देरी की वजह से जान नहीं बच सकी। कई मरीजों की मौत के बाद कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। अभी भी हर हफ्ते 2-3 मरीज ब्रॉड डेड अस्पताल पहुंच रहे हैं।
प्रदेश में अभी भी हर रोज औसतन 11 मरीजों की जान जा रही है। इनमें 85 प्रतिशत मरीज अन्य बीमारी से पीडि़त थे। इम्युनिटी कम होने की वजह से कोरोना संक्रमित हुए। जांच और इलाज में देरी की वजह से जान नहीं बच सकी। कई मरीजों की मौत के बाद कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। अभी भी हर हफ्ते 2-3 मरीज ब्रॉड डेड अस्पताल पहुंच रहे हैं।
14 जिलों में एक्टिव मरीजों की संख्या दहाई में
प्रदेश के 2 जिले रायपुर और दुर्ग में ही एक्टिव मरीजों की संख्या 1 हजार से अधिक रह गई है। बाकी सभी जिलों में यह आंकड़ा हजार से नीचे है। सबसे कम एक्टिव मरीज दंतेवाड़ा में हैं जहां इनकी संख्या 10 है। 14 जिलों में एक्टिव मरीजों की संख्या दहाई में सिमट कर रह गई ।
प्रदेश के 2 जिले रायपुर और दुर्ग में ही एक्टिव मरीजों की संख्या 1 हजार से अधिक रह गई है। बाकी सभी जिलों में यह आंकड़ा हजार से नीचे है। सबसे कम एक्टिव मरीज दंतेवाड़ा में हैं जहां इनकी संख्या 10 है। 14 जिलों में एक्टिव मरीजों की संख्या दहाई में सिमट कर रह गई ।
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अभी गंभीर मरीज भी कम मिल रहे हैं,मौत भी कम हो रही हैं। जिनकी मौत हो रही, वे या तो किसी बीमारी से पीडि़त हैं या देरी से जांच करवाई। अभी भी लोग बीमारी की गंभीरता नहीं समझ नहीं रहे हैं।
– डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
अभी गंभीर मरीज भी कम मिल रहे हैं,मौत भी कम हो रही हैं। जिनकी मौत हो रही, वे या तो किसी बीमारी से पीडि़त हैं या देरी से जांच करवाई। अभी भी लोग बीमारी की गंभीरता नहीं समझ नहीं रहे हैं।
– डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग