अब यह एक नए और बड़े खतरे की तरफ संकेत कर रहा है। मॉनीटिरिंग की जवाबदारी जिला प्रशासन, मगर पसीना स्वास्थ्य विभाग का छूट रहा है क्योंकि संक्रमित स्टाफ की कांटेक्ट ट्रेसिंग मुश्किल हो रही है। सैंपल देने के बाद ये क्वारंटाइन में नहीं रहे, काम करते रहे। अपने परिजनों के साथ रहे, मोहल्ले-पड़ोस वालों से मिले। न जाने इन्होंने कितनों को वायरस बांटा।
उधर, ‘पत्रिका’ पड़ताल में सामने आया कि होटलों को पेड क्वारंटाइन सेंटर के तौर पर अनुबंधित करने के बाद जिला प्रशासन ने दोबारा व्यवस्था नहीं जांची। अगर, जांची होती तो होटल प्रबंधकों को लापरवाही उजागर होती कि कैसे वे कैसे अपने स्टाफ को बगैर सुरक्षा सामग्री मुहैया करवाए काम ले रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटर की गाइड-लाइन सख्त है। जैसे- क्वारंटाइन किया गया व्यक्ति 14 दिन तक कमरे में रहेगा। डिब्बा बंद खाना मुहैया करवाए जाएगा। वह अपना सारा काम स्वयं करेगा। मगर, होटलों में इनमें से कई नियमों का पालन नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि विदेश से लौटने वाले १०० से अधिक लोग संक्रमित मिले हैं जो क्वारंटाइन थे। वहीं होटलों से 25 से अधिक स्टाफ या उनके प्राइमरी कांटेक्ट वाले लोग संक्रमित मिल चुका है।
ये लापरवाहियां भी-
क्वारंटाइन व्यक्ति से मिलने-जुलने वालों पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं, नियमित सेनिटाइजेशन नहीं हो रहा, स्टाफ को सुरक्षा सामग्री नहीं करवाई जा रही मुहैया, होटलों से निकलने वाले वेस्ट (कचरे) का डिस्पोजल ठीक ढंग से नहीं हो रहा, निस्तारी में इस्तेमाल किया जा रहा पानी बिना ब्लीचिंग के सीधे ड्रेनेज में छोड़ा जा रहा।
क्या होटलों ने बनाए अपने क्वारंटाइन नियम-
विदेश-देश से लौटने वालों को 14 दिन क्वारंटाइन में रहना होगा। मगर, रूस और किर्गिस्तान से आने वाले छात्रों को अलग-अलग होटलों में ठहराया जा रहा है। कुछ पालकों ने पत्रिका को फोन कर जानकारी दी कि उनके बच्चे 14 दिन तक होटलों में हैं, जबकि उनके साथ लौटे अन्य छात्र जो दूसरे होटलों में ठहराए गए हैं, उनमें से कोई पांच और कोई सात दिन में घर चला गया। आखिर ऐसा क्यों? इससे संबंधित शिकायत जिला प्रशासन को भी की गई है।
किराया 1100 से 3100 रुपए तक निर्धारित-
जिला प्रशासन ने शहर के 18 होटलों का चयन पेड क्वारंटाइन के रूप में किया है। जिनका किराया 1100 रुपए से लेकर 3100 रुपए तक तय है। इन होटलों में 791 कमरे क्वारंटाइन रूम के रूप में आरक्षित हैं।
होटल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वे अपने स्टाफ की वायरस से सुरक्षा करें। उन्हें सभी दिशा-निर्देश दिए गए हैं, यहां तक की सभी स्टाफ को प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है कि उन्हें किस तरह से सावधानी बरतनी है। फिर से एक बार निर्देश जारी करने के लिए अधिकारियों को कहा है।
-डॉ. एस. भारतीदासन, कलेक्टर, रायपुर