ठंडी हवाओं के साथ बदलते मौसम से तेजी से फैलेगा वायरस, कोरोना की 'सेकंड वेव' होगी ज्यादा जानलेवा
र्दी के मौसम में कोरोना वायरस (Corona Virus) के सेकंड वेव' का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले से कहीं अधिक घातक और जानलेवा होगी।

रायपुर. सर्दी के दस्तक देने के साथ ही कोल्ड-फ्लू यानी सर्दी- -जुकाम आम बात हो जाती है लेकिन इस बार की सर्दी ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की चिंता को बढ़ा दिया है। आशंका है कि सर्दी के मौसम में कोरोना वायरस (Corona Virus) के सेकंड वेव' का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले से कहीं अधिक घातक और जानलेवा होगी।
ठंडी हवाओं के साथ बदलते मौसम की वजह से कोरोना वायरस अधिक ताकत के साथ तेजी से फैल सकता है, जिससे पॉजिटिव मरीजों के साथ-साथ मौत का आंकड़ा भी बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों में होने वाले हर संक्रामक बीमारी का एक खास मौसम होता है, जैसे सर्दियों में फ्लू और कॉमन कोल्ड होता है, उसी तरह गर्मियों में पोलिया और बारिस के मौसम में मीजल्स और चिकन पॉक्स फैलता है। चूंकि, सभी संक्रामक बीमारियां मौसम के हिसाब से बढ़ती हैं इसलिए कोरोना के सर्दी में बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बदलते मौसम के साथ वायरस की ताकत में बदलाव होता है, जो काफी खतरनाक होता है। हालांकि, तापमान का कोरोना वायरस पर अब तक कोई असर प्रमाणित नहीं हुआ है। एम्स के पूर्व अधीक्षक डॉ. करन पीपरे का कहना है कि ठंड में प्रदूषण भी कोरोना वायरस के लिए सहायक होगा। ठंड में प्रदूषण सतह के काफी करीब आ जाता है, जिससे फेफड़े में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। फेफड़ा संक्रमित होने से पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन नही पहुंचने से शरीर के अन्य अंग प्रभावित हो जाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे कोरोना संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।
कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग व टेस्टिंग पर देना होगा जोर
विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर काबू पाने के लिए कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को और बेहतर तरीके से करना होगा, साथ ही ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने होंगे। केवल गंभीर मरीजों को ही बड़े अस्पताल में भर्ती कराना होगा। कोरोना के शुरूआती समय में एक मरीज मिलने पर जिस प्रकार से कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग की जाती थी, वर्तमान में बंद हो गई है, जिसे शुरू करना होगा।
अभी कहना मुश्किल है लेकिन विदेशों में जहां पर ठंड ज्यादा हैं वहां कोरोना के केस बढ़े हैं। यहां भी ऐसे मरीज आ सकते हैं। ऐसे मरीजों को आईसीयू, एचडीयू व ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है, जिसकी व्यवस्था पहले से की जानी चाहिए। लोगों को भी जागरूक होना चाहिए।
डॉ. नितिन एम नागरकर, निदेशक, एम्स, रायपुर
कोरोना वायरस के 'सेकेंड वेव' का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले से कहीं अधिक खतरनाक और जानलेवा होगी। त्यौहारी सीजन होने की वजह से केस बढ़ने का ज्यादा खतरा है। मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही कोरोना से बचाव के उपाय हैं। 'सेकेंड वेव' से निपटने तैयारी की जा रही है।
डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर
दूसरे चरण से निपटने की तैयारी
आयुर्वेदिक अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों से खाली हो गया है फिरभी इसे आरक्षित रखा गया ताकि ठंड में वायरस का संक्रमण बढ़ा तो किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। यहां पर ऑक्सीजनयुक्त 400 बेड तैयार किए जा रहे है। लालपुर अस्पताल में भी मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था कर दी गई है। आंबेडकर अस्पताल में भी 75 बेड का आईसीयू बनाया जा रहा है। एम्स में बेड खाली पड़े हैं लेकिन ठंड में कोरोना मरीजों के बढ़ने की संभावना को देखते हुए आरक्षित रखा गया है।
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