उधर, अस्पताल में इलाज करा रहे किसी मरीज के कोरोना वायरस की पुष्टि होती है तो भारत सरकार, आईसीएमआर एवं राज्य शासन के दिशा-निर्देशों के अनुरुप अस्पताल को डिसइंफेक्टेड कर 24 घंटे के बाद पुन: शुरू किया जा सकता है। गौरतलब है कि ‘पत्रिकाÓ ने प्रमुखता से यह मुद्दा उठाया था कि नॉन कोविड अस्पतालों में संक्रमण बढ़ रहा है। 5 अगस्त को ‘नॉन कोविड अस्पतालों में मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज, गंभीर स्थिति में किए जा रहे हैं रेफर, गवां रहे जान।Ó शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। जिसमें बताया था कि इलाज न मिलने और इलाज में देरी की वजह से जानें जा रही हैं। स्वास्थ्य सचिव ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि समय पर जांच, पहचान और उपचार नहीं होने पर मृत्यु होने की संभावना भी अधिक होती है। प्रदेश में अभी तक कोविड-19 से संक्रमित कुल 69 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से 51 व्यक्ति किसी अन्य बीमारी से ग्रसित रहे हैं।
104 से फोन आने पर बताएं परेशानी प्रदेश के कोविड-19 अस्पतालों में 2500 से अधिक संक्रमित मरीजों का इलाज जारी है। अब तक 7800 से अधिक मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग अब अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों से फीडबैक लेने का जा रही है। 104 मेडिकल हेल्प लाइन के ऑपरेशन हैड को चिट्टी लिख दी गई है। १०४ सेवा के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन द्वारा लिखी गई चिट्टी में उल्लेख है कि 104 से मरीजों को कॉल किया जाए। उनसे पूछा जाए कि उनका इलाज कैसा चल रहा है? कहीं कोई कमी तो नहीं है? इलाज की व्यवस्था, खाने की व्यवस्था को लेकर उनके द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं नोट की जाएं। इससे विभाग को अवगत करवाया जाए। पत्रिका से बातचीत में डॉ. जैन ने कहा कि इससे हमें व्यवस्था में सुधार लाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा प्रतिदिन कोविड-19 के भर्ती मरीजों को सलाह/परामर्श मुहैया कराया जाना है।