शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर एहतियातन डेंगू, मलेरिया के साथ कोरोना जांच करा रहे हैं, लेकिन 2-4 को छोड़ दिया जाए तो निजी अस्पतालों में लापरवाही बरती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नि:शुल्क कोरोना और एलाइजा टेस्ट सुविधा उपलब्ध कराए जाने के बाद भी लोग सर्दी-खांसी और बुखार होने पर जांच कराने में कतरा रहे हैं, जो काफी खतरनाक साबित हो सकती है।
डॉक्टरों का कहना है कि पहले सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों को कोरोना जांच की सलाह दी जाती थी लेकिन अब डेंगू व मलेरिया की संभावना भी प्रबल होती जा रही है। हर बुखार कोरोना नहीं हो सकता इसकी वजह से डेंगू व मलेरिया जांच की भी सलाह दी जाती है। कोरोना और डेंगू दोनों के बाहरी लक्षणों में तो समानता है ही, इनमें प्लेटलेट्स भी तेजी से नीचे गिरती हैं।
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रायपुर आंबेडकर अस्पताल के एमडी मेडिसीन डॉ. आरएल खरे ने कहा, वायरल फीवर के साथ डेंगू के काफी मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। 30 प्रतिशत मरीज वायरल फीवर के आ रहे हैं। कोरोना के साथ डेंगू की भी जांच कराई जाती है। मेडिसिन में पहले जहां 25-30 मरीज भर्ती होते थे, वह अब 40-50 तक पहुंच गए हैं।
रायपुर आईएमए के जिला अध्यक्ष डॉ. विकास अग्रवाल ने कहा, वायरल फीवर के मरीजों का कोरोना के साथ डेंगू जांच कराई जा रही है। आईएमए के सभी सदस्यों को भी इसके लिए कहा गया है। लोग ही जांच कराने में आनाकानी करते हैं। बहुत से मरीज कहते हैं कि कोरोना टीके का दोनों डोज लगवा लिए हैं, जबकि यह समझना चाहिए कि इसके बाद भी उन्हें या परिवार के अन्य सदस्य को संक्रमण हो सकता है।
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रायपुर सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने कहा, शासकीय व निजी अस्पतालों के ओपीडी व आईपीडी में सर्दी-खांसी और बुखार से पीडि़त आने वाले मरीजों का कोरोना टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं। डेंगू के प्रकोप को देखते हुए एलाइजा जांच के लिए सैंपल भेजने के लिए निर्देशित किया गया है। कुछ निजी अस्पताल लापरवाही बरत रहे हैं।