उधर, जुलाई में हुई मौते के आंकड़ों में भी अगर नजर डाली जाए तो वहां भी 30-35 प्रतिशत मौतों का कारण सांस संबंधी बीमारी, सांस लेने में परेशानी, सांस फूलना और शरीर में ऑक्सीजन लेवल का गिरना पाया गया है। पड़ताल में सामने आया कि सांस की बीमारी के मरीज बहुत देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं, जांच में वे कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं। देखते ही देखते ऑक्सीजन और फिर वेंटीलेटर तक पहुंच जा रहे हैं।
डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी जान बचा पाना मुश्किल हो रहा है। यही वजह है कि बार-बार स्वास्थ्य विभाग और विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सांस के मरीज पूरी सावधानी बरतें। विशेषज्ञ इस वायरस को लंग्स ईटर (फेफड़ों को खाने वाला) वायरस करार दे रहे हैं।
सभी उम्र के लोगों में यह शिकायत
ऑक्सीजन लेवल का कम होना, ऐसा नहीं है कि अधिक उम्र वालों लोगों में ही पाया जा रहा है। बल्कि कम उम्र वालों मरीजों ने भी डॉक्टरों से यह परेशानी बताई है। ब्रेथलेसनेस की वजह से कोरोना से लड़ते हुए, जान गंवाने वालों में 18 की उम्र का एक मरीज और बाकि 30 से 70 साल तक थे।
11 दिनों की स्थिति
तारीख- मौत- सांस की बीमारी से मौतें
1 अगस्त- 1-0
2 अगस्त- 1-1
3 अगस्त- 3-1
4 अगस्त- 8-4
5 अगस्त- 2-0
6 अगस्त- 6-2
7 अगस्त- 10-5
8 अगस्त- 3-1
9 अगस्त- 6-2
10 अगस्त- 3-2
11 अगस्त- 5-4
जिला स्तर पर खरीदे जा रहे हैं ऑक्सीमीटर-राज्य सरकार ने ब्रेथलेसनेस की समस्या को भांपते हुए चार दिन पहले सभी जिला कलेक्टरों को होम आइसोलेट किए गए मरीजों के लिए ऑक्सीमीटर खरीदने के निर्देश दिए थे। ताकि मरीज स्वयं से अपना ऑक्सीजन लेवल जांच सके, अगर मिलता है तो तत्काल वह या उसके परिजन स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दें। मरीज के ठीक होने पर मीटर लौटाया जाना है। गौरतलब है कि यह समस्या पूरे देश में है, यही वजह है कि विभिन्न राज्यों की सरकारें होम आईसोलेट किए जा रहे मरीजों को ऑक्सी मीटर मुहैया करवा रही हैं।
एक्सपर्ट व्यू-
94 प्रतिशत से कम न हो ऑक्सीजन लेवल
डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा का कहना है कि हमारे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 94 से 100 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। अगर, इसमें गिरावट आ रही है तो वह ठीक नहीं है। तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं।
कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण से एक स्टेप ऊपर वाला लक्षण है सांस लेने में तकलीफ होना। अभी ब्रेथलेसनेस के काफी मरीज सामने आ रहे हैं। मौत भी हो रही हैं। इससे संबंध में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
-डॉ. सुभाष पांडेय, राज्य प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग