स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि सैंपलों की संख्या बढ़ाएं। जितने ज्यादा सैंपल आएंगे, उनकी जांच में संक्रमित और गैर संक्रमित मरीजों की जानकारी मिलेगी। संचालक नीरज बंसोड़ ने सभी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को भी कहा है कि वे हर संदिग्ध मरीज के सैंपल लें। इसमें कोताही नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि सर्वाधिक सैंपलिंग बिलासपुर संभाग में हुई, वहां सर्वाधिक मरीज भी मिले हैं, उसके बाद दुर्ग में। वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यह स्पष्ट किया गया है कि रेड जोन में वे ही ब्लॉक आएंगे, जहां वर्तमान में मरीजों की संख्या अधिक होगी। केंद्र सरकार की गाइडलाइन कहती है कि एक शहर में छह से अधिक मरीज मिलने पर रेड जोन घोषित किया जाना है, इसे राज्य सरकार ने ब्लॉक आधारित कर दिया है। यही वजह है कि बालोद का डौंडीलोहारा, बिलासपुर का तखतपुर व मस्तूरी और कोरबा को रेड जोन में रखा गया है।
कम सैंपलिंग के कारण ऑरेंज जोन में ये ब्लॉक
रायपुर जिले के धरसींवा ब्लॉक अंतर्गत सड्डू में २१ मई को एक कोरोना संक्रमित मरीज की पहचान हुई थी। इस ब्लॉक को तो ऑरेंज जोन में शामिल किया ही गया है, इसके साथ अभनपुर, आंरग, और रायपुर शहरी को भी ऑरेंज जोन में रखा गया है, क्योंकि रायपुर से १ लाख की आबादी के अनुपात मेंकम सैंपल गए हैं। रायपुर संभाग अंतर्गत धमतरी में भी कम सैंपलिंग हुई है। यही स्थिति बस्तर संभाग के बीजापुर, दंतेवाड़ा संभागों की भी है। बस्तर में जगदलपुर जिला मुख्यालय को छोड़ दिया जाए तो शेष जिलों में सैंपलिंग के आंकड़े हजार से भी कम पर हैं।
बस्तर और सरगुजा संभाग से कम सैंपल आ रहे हैं। प्रशासन व सीएमएचओ को कहा है कि सैंपल की संख्या बढ़ाएं। जितने ज्यादा सैंपल लेंगे, उतने लोगों पर नजर होगी। इसलिए कुछ ब्लॉक ऑरेंज जोन में हैं।
-डॉ. धमेंद्र गहवईं, राज्य सर्विलेंस अधिकारी एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग