रायपुर

यहां पाई जाती है देश की सबसे दुर्लभ और तीखी मिर्च, स्पाइसी इतनी की रिसर्च के लिए सैंपल भेजा एटॉमिक सेंटर

ईया नाम से जानी जाने वाली मिर्च की यह किस्म मणिपुर में मिलनी वाली सबसे तीखी किस्म से भी तेज है

रायपुरDec 17, 2018 / 11:19 am

Deepak Sahu

यहां पाई जाती है देश की सबसे दुर्लभ और तीखी मिर्च, स्पाइसी इतनी की रिसर्च के लिए सैंपल भेजा एटॉमिक सेंटर

विकास सोनी@रायपुर. सरगुजा संभाग के कुछ जिलों में पाई जाने वाली प्रदेश की सबसे तीखी मिर्च की दुर्लभ प्रजाति की किस्म को टेस्टिंग के लिए बार्क (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) और पंजीयन के लिए पीपीवीएफआरए (प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वेराइटीज एंड फार्मर्स राइट्स अथारिटी) भेजा गया है।
बार्क से इसकी टेस्टिंग के बाद पारंपरिक तौर पर खेती के लिए कृषकों को इसके बीजों सहित अन्य सहायक सामग्रियां उपलब्ध कराई जाएंगी, साथ ही अवार्ड के लिए भी नामित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश की इस किस्म को देश-विदेश सहित अन्य जगहों में कृषकों के लिए उपलब्ध कराया जा सकेगा।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा के मुताबिक जईया नाम से जानी जाने वाली मिर्च की यह किस्म मणिपुर में मिलनी वाली सबसे तीखी किस्म से भी तेज है। जिसे सिर्फ जेब में रखने से ही अहसास होने लगता है। वहीं, वर्तमान में यह प्रजाति सिर्फ सरगुजा संभाग के सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर, प्रतापपुर और जशपुर में प्राकृतिक तौर पर पाई जाती है। सर्वाधिक तीखेपन के साथ एक बार रोपने के बाद लगभग 5 साल तक इसकी फसल का ट्रायल लिया गया है, जबकि और अधिक समय का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं, 2-3 मीटर की लंबाई के इसके पौधे में आम मिर्च की अपेक्षा कहीं छोटी होती है। इसकी औसतन लंबाई 1.5 से 2.0 सेमी तक होती है और इसके फल आसमान की ओर उगते हैं।

साइंस कॉलेज के छात्र ने की खोज
नागार्जुन साइंस कॉलेज के बायोटेक्नोलॉजी में गोल्ड मैडेलिस्ट छात्र राम लाल लहरे ने इसे अपने गृहग्राम वाड्रफनगर में पाया। जहां से उन्होंने इसके उत्पाद पर विधिवत रिसर्च कर इसकी खेती प्रारंभ की। वहीं, वर्तमान में उन्होंने अपने खेत में 150 प्लांटों का पौधरोपण कर इसे बढ़ावा दे रहे हैं। वहीं, इनके प्रयासों से प्रभावित होकर कृषि विज्ञान केंद्र और पीपीवीएफआरए के राज्य प्रमुख डॉ. दीपक शर्मा के निर्देशन में इसे सैंपलिंग के लिए कुछ माह पूर्व ही भेजा गया है।

रासायनिक तत्वों की चल रही जांच
जईया की किस्म की उपज ठंडे जलवायु वाले हिस्सों और प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में ही होती है। साथ ही इसकी जड़ें काफी लंबी होती हैं, जिससे इसे बार-बार पानी देने की आवश्यकता भी नहीं होती है। इस जंगली (देशी) प्रजाति की शुरुआती टेस्टिंग में किसी भी प्रकार के जहरीले तत्व नहीं पाए गए हैं। वहीं, इसे ध्यान में रखते हुए इसमें पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों की जांच के लिए केमिकल कंस्टीटुएंट्स की जांच के लिए भेजा गया है।

पीपीवीएफआरए के राज्य प्रमुख डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि जईया मिर्च की रिपोर्ट बार्क और पीपीवीएफआरए भेजी गई है, जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आने की उम्मीद है। इसके बाद ही पता ही कैस्पियन परसेंटेज(तीखेपन) का पता लग पाएगा।
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