पहले बात करते हैं देश की
देश के अलग-अलग राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही कई राज्यों में फिर से लॉकडाउन की स्थितियां बन चुकी हैं। बढ़ते हुए आंकड़ों को देखकर अब इस बात की चर्चा जोरों पर होने लगी है कि अगर देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कोरोना से संक्रमित हो जाएगा तो देश में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाएगी और बड़ी आबादी में ऐंटिबॉडीज (Antibodies) बनने के बाद इस वायरस का संक्रमण फैलना बंद हो जाएगा।
दिल्ली को देखकर जग रही है आस
लगातार इस तरह के डेटा सामने आ रहे हैं कि दिल्ली की एक बड़ी आबादी करीब 40 से 45 फीसदी जनसंख्या में कोरोना ऐंटिबॉडीज विकसित हो चुकी हैं। बहुत मामूली से अंतर के साथ लगभग इसी तरह का आंकड़ा अलग-अलग सूचनाओं में सामने आ रहा है। साथ ही दिल्ली के अस्पतालों में उमड़ी कोरोना संक्रमितों की भीड़ अब बहुत ही कम हो चुकी है।
दिल्ली में लगातार घट रहे हैं कोरोना संक्रमण के केस
दूसरी तरफ ऐसे लोगों की संख्या दिल्ली में लगातार बढ़ रही है, जो कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। इन सभी बातों को देखते हुए हेल्थ एक्सपट्र्स की तरफ से कहा जा रहा है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण का पीक आकर जा चुका है। क्योंकि यहां अब संक्रमण के ताजा मामलों से बड़ी संख्या में लोग ठीक हो रहे हैं। दिल्ली इस स्थिति को देखते हुए अब अन्य राज्यों और पूरे देश को लेकर इस हर्ड इम्युनिटी की अवधारणा को बल मिल रहा है।क्या होती है हर्ड इम्युनिटी?
हर्ड इम्युनिटी किसी महामारी या संक्रमण के काल में लोगों के शरीर में विकसित होने वाली ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जो क्षमता अगर 60 प्रतिशत से अधिक आबादी में विकसित हो जाए तो संक्रमण का प्रसार रुक जाता है। हर्ड इम्युनिटी कैसे विकसित होती है और कैसे काम करती है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
क्या स्वास्थ्य मंत्रालय की राय?
हर्ड इम्युनिटी के बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्तमान स्थिति को देखते हुए देश में कोरोना संक्रमण से निपटने का कोई रणनीतिक विकल्प नहीं हो सकती है। इस बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेष कार्याधिकारी राजेश भूषण ने कहा कि कोविड-19 एक संक्रामक रोग है और वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बचाव के जरिए ही इसे बढऩे से रोका जा सकता है।
दो तरीकों से विकसित होती है हर्ड इम्युनिटी
हर्ड इम्युनिटी के बारे में राजेश भूषण ने कहा कि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता तभी विकसित होती है जब किसी देश या किसी क्षेत्र की एक बड़ी आबादी का टीकाकरण (वैक्सीनेशन) हो चुका हो या उस क्षेत्र की बड़ी आबादी इस संक्रमण की चपेट में आ जाए। इस स्थिति में बहुत सारे लोगों को जान का खतरा भी होता है। हमारा देश बहुत विशाल है और यहां हर्ड इम्युनिटी के भरोसे हम अपने देश को फिलहाल नहीं छोड़ सकते हैं। क्योंकि यह कोई रणनीतिक विकल्प नहीं है।
यहां समझें विस्तार से…
दरअसल, हर्ड इम्युनिटी का विकसित होना और इसे विकसित करना दो एकदम अलग चीजें हैं। जब किसी क्षेत्र विशेष की एक बड़ी आबादी वायरस की चपेट में आकर संक्रमित हो जाती है और फिर ठीक हो जाती है तो इस दौरान वहां लोगों के शरीर में उस वायरस के खिलाफ काम करने वाली ऐंटिबॉडीज विकसित हो जाती हैं।