scriptश्मशानघाटों में 2 महीने बाद अब ‘शांति’, कोरोना से जून में अब तक सिर्फ 7 मौतें | COVID deaths decreasing in Chhattisgarh, peace in crematoriums after 2 | Patrika News

श्मशानघाटों में 2 महीने बाद अब ‘शांति’, कोरोना से जून में अब तक सिर्फ 7 मौतें

locationरायपुरPublished: Jun 06, 2021 11:28:03 am

Submitted by:

Ashish Gupta

छत्तीसगढ़ में कोरोना से होने वाले मौतों का ग्राफ 30 के अंदर सिमट गया है। राजधानी रायपुर में मंगलवार और गुरुवार को जीरो डेथ रहीं, बीते कुछ दिनों से मौतें इकाई में सीमित हैं, जो अच्छे संकेत हैं।

Dogs eat corona half burnt dead body pieces

कोरोना मृतकों के शव आधा-अधूरा जला रहा निगम, कुत्ते ले जा रहे टुकड़े

रायपुर. छत्तीसगढ़ में कोरोना (Corona death in Chhattisgarh) से होने वाले मौतों का ग्राफ 30 के अंदर सिमट गया है। राजधानी रायपुर में मंगलवार और गुरुवार को जीरो डेथ रहीं, बीते कुछ दिनों से मौतें इकाई में सीमित हैं, जो अच्छे संकेत हैं। रायपुर में 5 अप्रैल से 20 से अधिक मौतें दर्ज होना शुरू हुईं, जो एक दिन में 67 मौतें तक जा पहुंचीं। मर्चुरी में लाशों को रखने की जगह कम पड़ने लगी। देवेंद्र नगर और मरवाड़ी श्मशानघाट में लाशों की कतार लगने लगी, यहां भी दाह संस्कार के लिए जगह कम पड़ने लगी तो कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन ने सभी श्मशानघाट में कोरोना मृतकों के शव के दाह संस्कार की अनुमति जारी कर दी। मगर, अब मौतों में आई कमी से श्मशानघाटों में ‘शांति’ है।

यह भी पढ़ें: नई आफत: कोविशील्ड लगने वालों को भेजे लिंक से जनरेट हो रहे कोवैक्सीन सर्टिफिकेट

पड़ताल में सामने आया कि 1 अप्रैल से 3 जून तक (64 दिनों में) 3105 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई, यानी हर रोज 48 जानें गईं। इसी दौरान अस्पतालों में अन्य बीमारियों से भी लोगों ने दम तोड़ा। घरों में भी सामान्य या बीमार ग्रस्त लोगों की मौत हुईं। श्मशानघाट में स्थिति यह थी कि शेड कम पड़ जा रहे थे। शवों को अस्पताल से श्मशानघाट तक शव पहुंचाने वाले मुक्तांजलि वाहन कम पड़ गए थे, तो जिला प्रशासन ने ट्रकों को मुक्ताजंलि वाहन बना दिया था। मगर, अब मौतें कम हुई हैं तो देवेंद्र नगर और मारवाड़ी के अलावा गोकुल नगर श्मशान घाट में कोरोना मृतकों का दाह संस्कार किया जा रहा है, बाकी में नहीं।

यह भी पढ़ें: 18 प्लस टीकाकरण: आज से फिर खुलेंगे बंद सेंटर, जानिए वैक्‍सीन के लिए रजिस्‍ट्रेशन कैसे कराएं

श्मशानघाट के कर्मी बोले, अब थोड़ी राहत
मारवाही श्मशानघाट में पदस्थ नगर निगम के कर्मचारी मनीष बताते हैं कि अप्रैल और मई के शुरुआती कुछ दिनों रोजाना 8-10 कोरोना मृतकों के शव आते थे। कई बार तो देर शाम तक दाह संस्कार करना पड़ता था। इस दौरान इतने ही शव सामान्य व्यक्तियों के भी आते थे। जितने भी शेड बने हैं, सभी में चिताएं चलती रहती थीं। कई बार शेड के बाहर भी दाह संस्कार करने पड़े। अच्छा है कि अब सबकुछ ठीक हो गया है। अब 1-2 कोरोना और 2-3 सामान्य तौर पर मरने वालों के शव आते हैं। मनीष कहते हैं कि इस दौरान उनका एक भी स्टाफ संक्रमित नहीं हुआ।

यह भी पढ़ें: सावधान! प्ले-स्टोर पर फर्जी कोविन और आरोग्य सेतु से मिलते-जुलते ऐप की भरमार, रहे सतर्क वरना

डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के कोविड19 के यूनिट हेड डॉ. ओपी सुंदरानी ने कहा, पीक वाले महीनों में कोविड से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या, अस्पतालों में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या से अधिक इसलिए भी है क्योंकि बतौर उदाहरण अगर मरीज कैंसर पीडि़त था। उसे इलाज के दौरान कोरोना हुआ तो उसे कोरोना से मरने वालों की सूची में रखा गया। आने वाले दिनों में कोविड से मरने वालों की संख्या कम होती चली जाएगी।
नगर निगम अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने कहा, पूर्व में सभी श्मशानघाटों में कोरोना से मरने वालों का दाह संस्कार किए जाने की अनुमति थी। मगर, अब मौतें कम हो रही हैं, इसलिए 3 में ही अनुमति है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो