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छत्तीसगढ़ में हुई गोबर की चोरी, खेत में रखा सौ किलो गोबर चोरो ने किया पार

locationरायपुरPublished: Aug 09, 2020 03:35:00 pm

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CG Desk

– सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपये प्रति किलो की दर से गोठान समितियों के माध्यम से गोपालकों द्वारा संग्रहित गोबर को सरकार खरीदती है।

गोबर (File Photo)

गोबर (File Photo)

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार लगातार चर्चे में है। कुछ रोज पहले भूपेश सरकार के गोबर खरीदने के फैसले ने सबको हैरान किया था। अब छत्तीसगढ़ से गोबर चोरी होने की खबर सामने आई है। सुनने में अजीब है लेकिन कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड के एक गांव में दो किसानों के बाड़े में जमा करके रखा गया लगभग 100 किलो गोबर चोर चुरा ले गए। जिसके बाद किसानों ने गोठान समिति पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई। गोठान समिति की ओर से चोर को पकड़ने की फरियाद के साथ एक आवेदन स्थानीय थाने में भी दिया गया है।
सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपये प्रति किलो की दर से गोठान समितियों के माध्यम से गोपालकों द्वारा संग्रहित गोबर को सरकार खरीदती है। इस गोबर की खाद बनाने के साथ कई तरह के उपयोगी सामान बनाकर गोठान समितियां बाजार में ला रही हैं।
मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम रोझी में रहने वाले किसान और गोपालक लल्ला राम और सेमलाल के बाडे में गायों का इकट्ठा किया हुआ गोबर रखा था। इस मामले में गोठान समिति के अध्यक्ष का कहना है कि गोबर चोरी होने की घटना एक तरह की नई समस्या है। इस समस्या को रोकने के लिए चोरों का पकड़ा जाना बहुत जरूरी है।
कई इलाकों से आई चोरी की खबर
केवल कोरिया से ही नहीं प्रदेश के कई जगहों से गोबर की चोरी की खबर आई है। बस्तर के सुकमा से भी एक केस सामने आया है। यह इस योजना के शुभारम्भ के बाद नई परेशानी सामने आई है।
दरअसल, राज्य सरकार ने गोवंश के संरक्षण के लिए एक योजना लागू की है, जिसके बाद राज्य में गोबर की कीमत तय हो गई है। गोधन न्याय योजना नाम की इस योजना के तहत दो रुपये प्रति किलो की दर से गोठान समितियों के माध्यम से गोपालकों द्वारा संग्रहित गोबर को सरकार खरीदती है। इस गोबर की खाद बनाने के साथ कई तरह के उपयोगी सामान बनाकर गोठान समितियां बाजार में ला रही हैं।
पिछले दिनों गोबर से बनी राखियों ने रक्षाबंधन के त्योहार पर बाजार में नज़र आई थी, इन राखियों के अलावा गोठान समितियां गोबर से कंडे, मूर्तियां, अच्छी किस्म की जैविक खाद और कुछ अन्य उपयोगी चीजें बना रही हैं। हरेली के त्योहार के मौके पर राज्य में इस योजना की शुरूआत हुई है और पिछली पांच अगस्त को गोबर बेचने वाले पशुपालकों को पहली बार उनके पशुओं के गोबर की कीमत सरकार ने अदा की है।
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