बढ़ता अपराध
रायपुरPublished: Sep 25, 2018 06:09:53 pm
2018 में जून तक ही रायपुर जिले में 4924 आपराधिक मामले दर्ज
प्रदेश सरकार से लेकर तमाम सुरक्षा एजेंसियों और फोर्स का मुख्यालय होने के बावजूद पांच साल से अपराध के मामले में रायपुर जिले का पहले नंबर पर होना शासन-प्रशासन के लिए शर्म की बात है। राज्य पुलिस और राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े बेहद चिंतनीय है। जहां 2013 में रायपुर जिले में सर्वाधिक 8907 आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। वहीं, 2018 में जून तक ही जिले में 4924 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। इसी अवधि में दुर्ग जिले में 3655, बिलासपुर में 3467, जांजगीर में 1832 और राजनांदगांव में 1783 आापराधिक माामले दर्ज हुए हैं। जबकि 2013 मेंं अपराध के मामले में प्रदेश के टॉप पांच जिलों में रायपुर 8907, दुर्ग 6892, बिलासपुर 5147, जांजगीर 3470 और रायगढ़ 3350 शामिल थे। हद तो यह है कि हीरा, कोयला, लाल चंदन और मादक पदार्थों की तस्करी प्रदेश के रास्ते विदेशों में हो रही है। माओवादियों का शहरी नेटवर्क, सिमी व इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकियों का रैकेट चल रहा है, सो अलग।
लगता है रायपुर तेजी से अपराध की राजधानी और प्रदेश अपराधियों का गढ़ बनते जा रहा है। चोरी, डकैती, लूट, उठाईगिरी व हत्या की घटनाएं आम हो गई हैं। हालात ये हैं कि न गांव सुरक्षित हैं, न कस्बा और न ही शहर। घर से लेकर बाजार, दुकान, सड़क, चौक-चौराहे, यहां तक कि बैंक में लोगों की खून-पसीने की कमाई असुरक्षित है। आखिर अपराधियों में पुलिस का खौफ क्यों नहीं है? अपराधी सरेराह वारदात करने से क्यों नहीं हिचक रहे? इसके लिए जिम्मेदार कौन है, पुलिस विभाग की लचर कार्यप्रणाली, नौकरशाहों की अकर्मण्यता या सरकार की ढुलमुल नीति? विडम्बना है कि अपराधी बड़ी आसानी से वारदात करके अन्य प्रदेशों में भाग जाते हैं और पुलिस स्थानीय स्तर पर हाथ-पैर मारती रहती है। यानी अपराधियों के नेटवर्क पुलिस के नेटवर्क से भी मजबूत हैं। इतना ही नहीं, पुलिसकर्मियों के आपराधिक कृत्यों में शामिल होने की खबरें भी सुर्खियां बन रही हैं। यदि रक्षक ही भक्षक बन जाए, पुलिस ही अपराध करने लगे तो कानून व्यवस्था व नागरिक सुरक्षा चौपट तो होगी ही। असामाजिक व अराजकतत्वों के हौसले बुलंद तो होंगे ही। कहा जाता है कि पुलिस ठान ले तो रास्ते में पड़ी चीज भी कोई उठा नहीं सकता, चोरी-डकैती तो दूर की बात है।
बहरहाल, पुलिस को छोटे-मोटे अपराधियों के प्रति भी कड़ार्ई बरतनी चाहिए, ताकि वे बड़े अपराध की ओर दुष्प्रेरित ना हों। संगठित और असंगठित दोनों तरह के अपराध के विरुद्ध भी समान रूप से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही सरकार को राज्य के विकास पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को स्वरोजगार व नौकरी पर लगाना चाहिए। युवाओं में सकारात्मक और आत्मनिर्भरता आने से ही अपराध कम होंगे।