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बेखबर पुलिस

locationरायपुरPublished: Oct 11, 2018 07:56:41 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिलासपुर में पांच हजार से अधिक वारंटियों की पुलिस तलाश कर रही है

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बेखबर पुलिस

छत्तीसगढ़ पुलिस आदतन और निगरानी बदमाशों को नहीं पहचानती। यही कारण है कि प्रदेश में संपत्ति संबंधी अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। पांच वर्ष पहले शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में बीट सिस्टम लागू कर बेसिक पुलिसिंग पर जोर देते थे। इसके तहत थाना क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों की जिम्मेदारी विवेचकों को प्रभारी के रूप में सौंप दी जाती थी। विवेचक अपने क्षेत्र में नियमित रूप से गश्त करता था और अपराध दर्ज होने पर स्वयं विवेचना कर क्षेत्र के गुण्डे, बदमाशों और हिस्ट्रीशीटरों को तलब कर जांच करता था। बीट सिस्टम होने से थाना क्षेत्रों में अपराध का ग्राफ औसतन कम रहता था, लेकिन पिछले ५ सालों से बीट सिस्टम बंद होने से पुलिस वर्दी का खौफ कम हुआ है और अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है।
अकेले बिलासपुर में पांच हजार से अधिक वारंटियों की पुलिस तलाश कर रही है। इस हिसाब से जिले के बीस थानों में औसतन ढाई सौ वारंटी हैं। बीट सिस्टम नहीं होने से अधिकतर विवेचक संबंधित क्षेत्र और वहां रहने वाले लोगों से अनभिज्ञ हैं, जिससे आपराधिक मामलों की जांच में आरोपियों का सुराग लगाने में परेशानी होती है। विवेचक आपराधिक मामलों में फरार आरोपियों की पहचान नहीं कर पाते। यही कारण है कि वारंटियों को पकडऩे में विवेचकों के पसीने छूट रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीट सिस्टम के अनुसार थाना क्षेत्र के कुछ मोहल्लों का प्रभार एक विवेचक को दे दिया जाता है। विवेचक अपने क्षेत्र में होने वाले अपराधों की जांच करने के साथ ही क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटरों और निगरानी बदमाशों का लेखा-जोखा रखता है, जिससे संपत्ति संबंधी अपराध होने के बाद बीट प्रभारी क्षेत्र के निगरानी बदमाशों को तलब कर जांच पड़ताल करता है। साथ ही क्षेत्र में दूसरे राज्यों से आकर रहने वाले लोगों की पूरी जानकारी रखता है। इससे अपराधियों पर नियंत्रण रखने में पुलिस को मदद मिलती थी। बहरहाल, पुलिस प्रशासन को चाहिए कि थानों को बीट में बांट कर विवेचकों को भी जिम्मेवारी दे। संबंधित बीट में पुलिस गश्त बढ़ाए, ताकि अपराध और अपराधियों पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाया जा सके। अपराधियों की धरपकड़ में आम नागरिकों को भी आगे आना चाहिए।1
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