गोमूत्र की औषधि से फसली कीड़े खत्म, खाद से लहलहा रहे खेत
महिलाओं का समूह बना पर्यावरण रक्षक

रायपुर. आरंग के आसपास के गांवों के खेतों में लहलहाती फसल देखकर आपको लगेगा कि किसान ने काफी मेहनत कर करके यह सफलता हासिल की है। खाद, बीज और पेस्टीसाइड्स पर किसानों ने लाखों रुपए फूंके होंगे, लेकिन गांवोंं के अंदर जाकर जब आप ग्रामीणों से बात करेंगे तो आपकी धारणा बदल जाएगी। खेतों को हरा-भरा रखने का करिश्मा कर दिखाया है उन्हीं गांवों की महिलाओं ने। जिनके द्वारा बनाई गई जैविक खाद और फसली कीड़े मारने की देसी दवा से आज किसानों के चेहरे पर मुस्कान है। आरंग विकासखंड के अंतर्गत ग्राम बनचरौदा की कुछ महिलाओं की पहल से जहां किसानों को कम कीमत पर जैविक खाद और कीटनाशक मिल रहे हैं वहीं, महिलाओं की भी घर बैठे आमदनी शुरू हो गई है। शासन की गांव-गांव गोठान बनाने की पहल ने महिलाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोल दिए हैं। गोठान से एक साथ निकलने वाला गोबर से महिलाओं की आमदनी होने लगी है। गोठान के गोबर से तैयार होने वाला जैविक खाद 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इस गांव की महिलाओं ने महज दो माह के भीतर 1000 किलो खाद बेच डाली है। केचुआ से तैयार इस जैविक खाद की उपयोगिता को समझने के इसकी डिमांड इतनी होने लगी है कि सप्लाई में कमी होने लगी है। बाद उन्होंने दोगुनी मेहनत की और अब वे कई क्विंटल खाद तैयार कर रही हैं।
गोमूत्र से तैयार किया कीटनाशक
धनलक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा न सिर्फ गोबर से खाद का निर्माण कर बेचा जा रहा है। यहां गौमूत्र से अलग-अलग औषधि तैयार कर उसे बेचा जा रहा है। धान की फसलों को कीट से बचाने गोमूत्र मिलाकर बेलपत्ती अर्क, पेट में कीड़ा मारने वाली दवा निमास्त्र, धान के पौधों में कनक छेदक से बचाने ब्रम्हास्त्र, अग्नास्त्र, दशपर्णी अर्क, बेल पत्ती, नीम पत्ती, यूरिया पोटाश आदि से नाडेप खाद का विक्रय किया जा रहा है।
10 सदस्य हैं समूह में
ग्राम बनचरौदा की धनलक्ष्मी स्व सहायता समूह में 10 सदस्य है। महिला होने की वजह से घर के कामों को पूरा करने की भी इन पर जिम्मेदारी है। ये सभी बारी-बारी से अपने घर का काम खत्म कर गांव के गोठान में अपना समय देती है। समूह की अध्यक्ष इंद्राणी साहू है। यहां गोठान में सुबह 7 से 2 बजे तक सफाई कर गोबर को इकट्ठा कर पास बने बेड में डाल दिया जाता है। अन्य सामग्री डालकर वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है। फिर इसे छानकर पैकेजिंग कर बेचने के लिए तैयार किया जाता है। पैकेजिंग मशीन के साथ पैकेट में स्टीकर भी इन्हीं लोगों के द्वारा चिपकाया जाता है।
खाद की बढ़ रही मांग
समूह की सदस्य गीता साहू ने बताया कि गोठान में अभी 8 बेड थे। अब दो बेड और लगातार खाद का निर्माण किया जाएगा। जिस तरह से खाद की मांग बढ़ी है, उसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में तुरंत ही किसी को खाद की आपूर्ति नहीं हो पाएगी।
एक दिन में सवा क्विंटल जैविक खाद की बिक्री
बनचरौदा ग्राम की महिला समूह द्वारा गोठान में तैयार जैविक खाद की प्रदर्शनी बीटीआई मैदान में लगाई गई थी। यहां आयोजित 46वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी 2019 कार्यक्रम में स्टाल में इस जैविक खाद की खूब पूछ परख रही। एक दिन की प्रदर्शनी में सवा क्विंटल खाद शहरवासियों ने खरीदा। कुछ लोगों को खाद की कीमत बहुत कम भी लग रही थी। गांव की महिलाओं ने उन्हें बताया कि यह गोठान से नि: शुल्क में प्राप्त गोबर से तैयार जैविक खाद है और हर प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है।
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