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राजधानी में बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामले, थानों में नहीं है सुविधाएं

locationरायपुरPublished: Oct 09, 2020 04:03:45 pm

Submitted by:

CG Desk

– तकनीकी स्टाफ की भी भारी कमी, एफआईआर (Cyber Crime) में भी देरी .

 Fake of seven lakhs by making fake FD

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रायपुर . राजधानी में साइबर क्राइम (Cyber Crime) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस हिसाब से थानों में सुविधाओं की भारी कमी है। टेक्नीकल स्टाफ भी कम है, जिससे साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतों का जल्द निराकरण नहीं हो पा रहा है। कई बार तो एफआईआर (FIR) करने में भी कई दिन लग जाते हैं। इससे आरोपियों तक पहुंचना मुश्किल होता है। साइबर क्राइम (Cyber Crime) में सबसे ज्यादा मामले ऑनलाइन ठगी (Online fraud) के हैं। ऑनलाइन ठगी की शिकायतें ही हर माह 250 से अधिक आते हैं। इनमें आधे से ज्यादा शिकायतें 10 हजार -20 हजार की ठगी वाले होते हैं। इन पर पुलिस ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती है। अधिक राशि की ठगी वाले मामलों में पुलिस तत्काल एक्शन लेती है। इसकी बड़ी वजह तकनीकी स्टाफ की कमी है।
तकनीकी स्टाफ की कमी
रायपुर साइबर सेल में टेक्नीकल स्टाफ की भारी कमी है। तीन कर्मियों के भरोसे पूरे जिले का काम चल रहा है। ऑनलाइन ठगी के अलावा अपराधी की बड़ी घटनाओं में इसी टीम से काम लिया जाता है। इसके अलावा अपराधियों को पकडऩे के लिए तकनीकी जांच भी इन्हीं के जिम्मे होता है। इस कारण साइबर क्राइम के मामलों का निपटारा काफी धीरे है।
सभी थानों में एक्सपर्ट की आवश्यकता
राजधानी होने के कारण अपराध भी अधिक होते हैं। खासकर साइबर क्राइम (Cyber Crime)के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके लिए हर थाने में एक तकनीकी स्टाफ की आवश्यकता है, ताकि वह थाना स्तर पर ही कॉल डिटेल, कॉल डंप, लोकेशन आदि की जांच खुद कर सके। इसके लिए उसे साइबर सेल में निर्भरता की जरूरत न पड़े। वर्तमान में साइबर सेल के पास ऑनलाइन ठगी (Online fraud) व अन्य साइबर क्राइम के मामले तो रहते ही हैं, लेकिन थानों के भी बहुत से काम उन्हीं के पास आता है। इस कारण देरी होती है।
ट्रेनिंग नहीं होती
साइबर क्राइम (Cyber Crime) के मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस जवानों को ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है। साइबर सेल के तकनीकी स्टाफ थानों के स्टाफ को ट्रेनिंग दे सकते हैं, जिससे साइबर क्राइम से जुड़े बहुत से काम थाना स्तर पर ही सुलझाया जा सकता है। पिछले कई साल से थानों के जवानों को साइबर क्राइम की विवेचना संबंधी ट्रेनिंग नहीं दी गई है। इससे थानों की निर्भरता साइबर सेल पर ही है।
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