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इ-टेंडरिंग घोटाले में साइबर एक्सपर्ट को मिली बड़ी सफलता, डिलीट किए गए डाटा रिकवर

locationरायपुरPublished: Feb 17, 2019 02:10:27 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

इ-टेंडरिंग घोटाले करने के लिए बनाए गए फर्जी इमेल आइडी और आइपी नंबरों को साइबर एक्सपर्ट ने रिकवर कर लिया है।

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Cyber experts recover delete data in E-tendering scam

रायपुर. इ-टेंडरिंग घोटाले करने के लिए बनाए गए फर्जी इमेल आइडी और आइपी नंबरों को साइबर एक्सपर्ट ने रिकवर कर लिया है। जांच के दौरान उन कम्प्यूटरों को भी चिन्हाकित कर लिया गया है, जिसके जरिए निविदा जारी की गई थी। इसे जारी करने के बाद अफसरों के इशारे में मिटा दिया गया था। लेकिन, साफ्टवेयर के माध्यम से इसे निकाल लिया गया है।
इ-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के करीब 70 फीसदी डाटा निकाल लिए गए हैं। इसे कॉपी करने के काम चल रहा है। इसके रिकवर होते ही संबंधित कर्मचारियों-अफसरों और निविदा हासिल करने वाले ठेकेदारों और कंपनियों से संचालकों से पूछताछ की जाएगी। इओडब्ल्यू की एसपी आइके एलेसेला ने बताया कि दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट डिलीट किए गए डाटा को रिकवर कर रहे है। इसके पूरा होते ही पूछताछ का सिलसिला शुरू किया जाएगा।
बतादें कि 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कम्प्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था। उसी कंम्प्यूटर से निविदा की सारी औपचारिकता भी पूरी की गई थी। कैग की रिपोर्ट के अनुसार 10 से 20 लाख के 108 करोड़ रुपए के टेंडर मैन्युअली जारी किए गए थे। जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकाले गए उसी से टेंडर वापस भरे भी गए। ऐसा 1921 निविदाओं में किया गया था।

पीडब्ल्यूडी के टेंडरों में सर्वाधिक गड़बड़ी
छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) द्वारा जारी किए गए टेंडरों में सबसे अधिक गड़बड़ी लोकनिर्माण के टेंडरों में मिली है। साइबर विशेषज्ञों को प्राथमिक जांच के दौरान इसका सुराग मिलना शुरू हो गया था। इसकी जानकारी मिलने के बाद इओडब्ल्यू एसपी आइके एलेसेला पहुंचे थे। बताया जाता है कि उन्हे घोटाले से संबंधित दस्तावेज दिखाए गए थे। लेकिन, जांच चलने के कारण किसी को पूछताछ के लिए नहीं बुलवाया गया था।

बतादें कि 31 जनवरी को इओडब्ल्यू की टीम ने सिविल लाइंस स्थित चिप्स और पीडब्ल्यूडी के दफ्तर में छापामारा था। इस दौरान दोनों ही दफ्तरों से करीब 40 बंडल में फाइल जब्त की गई थी। इसे जांच के लिए ईओडब्लू मुख्यालय लाया गया था। बडी़ संख्या में गड़बडी़ पकड़े जाने के बाद चिप्स के मुख्यालय ने अस्थाई दफ्तर बनाया गया था।

अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी
इ-टेंडरिंग घोटाले से संबंधित दस्तावेजों की लगातार बरामदगी के बाद अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बताया जाता है कि एसीबी के अफसर और कर्मचारी दस्तावेजों का अध्यन करने के साथ ही इसकी रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हुए है। साथ ही इसकी कड़ियों को जोड़ने का काम भी चल रहा है।

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