कई स्कूलों में पढ़ाया, अब केवी में टीचर दामिनी बताती हैं, मैंने रायपुर के एक निजी स्कूल से टीचिंग की शुरुआत की। फिर धमतरी में पढ़ाया। अब केवी दुर्ग में योग टीचर हूं। इसके अलावा एमए योग की पढ़ाई भी कर रही हूं। हाल ही में मैंने बेंगलुरु में एक ग्रुप परफॉर्मेंस दिया है। मुझे आगे बढ़ाने में मेरे गुरु राजकुमार साहू का योगदान है।
बीमारियां भी ठीक कर रही योग के जरिए मैं लोगों की स्वास्थ्यगत परेशानियां भी दूर कर रही हूं। बैक पेन, पैरों का सूजन, शुगर और थायराइड का इलाज मैं योग के जरिए करती हूं।
योग ने डिप्रेशन से उबारा, अब दूसरों को उबार रहीं माना निवासी प्रियंका उपाध्याय ने कई संस्थाओं को योग सिखाया। कोरोना के दौरान ऑनलाइन क्लासेस लीं। बच्चों को विशेष ट्रेनिंग दी। इन सबके पीछे उनका खुद का अनुभव शामिल है। वे बताती हैं, एक समय ऐसा भी आया जब जिंंदगी बोझ बन गई थी। किसी कारणवश मैं डिप्रेशन में चली गई थी। तब योग मेरा सहारा बना। योग के कारण मेरी जिंदगी खुशगवार हो गई। तब मैंने तय कि योग से मुझे जो मिला, मैं उसे उन तक पहुंचाऊंगी जिन्हें जरूरत है। तब से सिखाने की शुरुआत हुई जो अब तक जारी है।
