बधियाकरण प्रोजेक्ट नियमित नहीं चलता
नगर निगम की डॉग केचर टीम शहर के आवारा कुत्तों को पकडकऱ बाहर छोड़ती है। इसके अलावा कुत्तों का बधियाकरण प्रोजेक्ट भी निगम द्वारा नियमित नहीं चलाया जाता। निगम द्वारा एक बार में 2 हजार कुत्तों के बधियाकरण के लिए टेण्डर दिया जाता है और दूसरा टेण्डर करने में 3 से 4 माह लगते है और वर्क आर्डर जारी करने में 4 माह गुजर जाते है इस कारण कुत्तों का बधियाकरण नियमित नहीं हो पाता।
डॉग कैचर की टीम जाती है और कुत्तों को पकड़ा जाता है। गोकुल नगर में संचालित डेयरियों के मालिकों को भी लगातार बढ़ रहे कुत्तों से होने वाली परेशानी को समझना होगा। मरे हुए मवेशियों को खुले में न छोड़े न नाले में डाले, क्योंकि इससे संक्रमण बढ़ता है। डॉग कैचर टीम कुत्तों को पकड़ती है।
पुलक भट्टाचार्य, उपायुक्त नगर निगम रायपुर।
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गोकुल नगर नहीं पूरे शहर की यह समस्या जानकारों का कहना है कि राजधानी में लगातार कुत्तों की आबादी बढ़ रही है। शहर में जगह-जगह खुली मांस की दुकानों के कारण भी कुत्ते खूंखार हो रहे है और लोगों खास कर बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। राजधानी में अभी तक 60 से अधिक लोगों को आवारा कुत्ते ने काटा है। यदि समय रहते कुत्तों की आबादी पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया तो और गंभीर परिणाम हो सकते हैं।