scriptपत्रिका उत्सव में धर्मगुरुओं ने कहा – कसौटी पर कसना होगा बाबाओं को, ढोंगियों से सचेत रहने की दी सीख | Debate on Flirtation with religion in Patrika Utsav 2018 in Raipur | Patrika News
रायपुर

पत्रिका उत्सव में धर्मगुरुओं ने कहा – कसौटी पर कसना होगा बाबाओं को, ढोंगियों से सचेत रहने की दी सीख

धर्म को जानने वाला, धर्म को जीने वाला चाहे किसी भी पंथ का साधु-संत हों या फिर कोई व्यक्ति, वह किसी भी तरह का गलत कार्य नहीं कर सकता।

रायपुरJan 07, 2018 / 01:28 pm

Ashish Gupta

Patrika Utsav 2018 in Raipur

पत्रिका उत्सव में धर्मगुरुओं ने कहा – कसौटी पर कसना होगा बाबाओं को, ढोंगियों से सचेत रहने की दी सीख

रायपुर . धर्म को जानने वाला, धर्म को जीने वाला चाहे किसी भी पंथ का साधु-संत हों या फिर कोई व्यक्ति, वह किसी भी तरह का गलत कार्य नहीं कर सकता। क्योंकि वह अधर्म के परिणाम को जानता है। दरअसल समस्या यह कि फर्जी और सुविधाभोगी बाबाओं की बाढ़ आ गई है। जिनका आश्रम भी तेजी से बढ़ता है। कई शंकराचार्य बना दिए जाते हैं। राजनेताओं का संरक्षण चिंता का विषय है।

‘पत्रिका उत्सव 2018’ के चौथे दिन ‘आस्था के साथ खिलवाड़’ विषय पर शंकराचार्य के प्रतिनिधि, आचार्यों ने ये विचार रखे और श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। उन्होंने कहा कि जो धर्म की आड़ में अधर्म करते हैं उन्हें धर्म की कसौटी पर कसा जाना चाहिए। कानूनी रूप से और सामाजिक बहिष्कार के तौर पर सजा मिलनी चाहिए। सनातन संस्कृति में गुरु , साधु-संत पूज्यनीय रहे हैं और हमेशा रहेंगे। मान्य परंपरा व अखाड़े की संस्कृति वाले संतों पर आज भी कोई आंच नहीं है। कार्यक्रम में सहयोगी जेके होंडा व राठी ट्रेनिंग एंड प्लसमेंट है।

सही साधु जांच से नहीं डरता
शंकराचार्य के प्रतिनिधि स्वामी इंदुभवानंद ने पत्रिका उत्सव में कहा कि हमारे सनातन परंपरा में धर्म की स्थापना के लिए ही चार शंकराचार्योँ की धर्मपीठ है, जो शास्त्रों के अनुकूल है। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि आज तो शंकराचार्यों की ही बाढ़ सी आ गई है। यहां तक कि राजनेता भी अपने-अपने हिसाब से कथावाचक और शंकराचार्य बनाने लगे हैं। अधिक धन लोलुपता वाले बाबाओं की करतूतों के कारण धर्म और आस्था के साथ खिलवाड़ की तस्वीरे सामने आई हैं। सच्चे और धर्मपरायण साधु-महात्मा को धन की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि अच्छे समाज का निर्माण करना ही मुख्य उद्देश्य होता है। लोगों की भीड़ बढ़ाने वाले या कमर्शियल बाबाओं को किसी भी कीमत में सनातनी साधु-संत न तो माना जा सकता है और न ही कहा जा सकता है। लोगों को भी इस बात को समझना होगा, जागरूक होना होगा। जांच-परख के बाद ही दीक्षा ग्रहण करना चाहिए।

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