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फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर को बचाने वाले ‘कवर’ की खरीदी में देरी, खरीदना है ढाई लाख, सप्लाई आर्डर महज 22 हजार का

locationरायपुरPublished: Jun 02, 2020 12:17:36 pm

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Karunakant Chaubey

जिसमें से सिर्फ 9 कंपनियों ने एल-1 के रेट को स्वीकार किया। अन्य कंपनियों ने शर्त यह रखी थी कि एल-1 आने वाली कंननी ने यूसीसी कोड ऑनलाइन जमा नहीं किया है। इसलिए एल-2 रेट को मानते हुए टेंडर फाइनल किया जाए।

रायपुर. कोरोना का संक्रमण प्रदेश में लगातार बढ़ रहा है। फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स के लगातार संक्रमित होने के मामले बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद कोरोना वारियर को बचाने वाले कवर ऑल की खरीदी में देरी हो रही है। इस लापरवाही में सप्लायर कंपनियों और जिम्मेदारों की बड़ी भूमिका है।

कवर ऑल की खरीदी के लिए निविदा फाइनल होने में ही 10 दिन से ज्यादा की देरी हुई है। अहम बात यह है कि 2 लाख 50 हजार कवर ऑल की खरीदी करनी है और अब तक सिर्फ 22 हजार का सप्लाई आर्डर ही जारी हो पाया है। कारण यह है कि जिस कंपनी को एल-1 पाया गया है, उसके कवर ऑल को भारत सरकार के मान्यता प्राप्त लैब ने एप्रूवल ही नहीं दिया है। लैब में मान्यता के लिए एल 1 आने के बाद कंपनी ने एप्रूवल के लिए अप्लाई किया गया है।

जबकि टेंडर शर्तों के मुताबिक यूसीसी कोड टेस्ट रिपोर्ट में पास होने वाली कंपनी ही निविदा में भाग ले सकती है। जब तक कंपनी अपनी यूसीसी कोड जमा नहीं करेगी, तब तक उससे वर्कआर्डर जारी नहीं किया जा सकता। इस तरह की देरी के बाद अधिकारियों ने एल-१ के अलावा सहमत हुई कंपनियों को 2 हजार 222 पीस की सप्लाई करने का आर्डर दिया है। एेसा पहली बार देखने को मिला है जो कंपनी एल-१ है, उसे सप्लाई आर्डर नहीं मिला।

इन लैब से मिलती है मान्यता

भारत सरकार से अधिकृत लैब सिट्रा, डीआरडीओ और आर्डिनेंस फैक्ट्री से ही ब्लड पेनिट्रेशन रिपोर्ट मिलती है। भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार यूसीसी कोड टेस्ट रिपोर्ट पास कवर ऑल ही संक्रमण से सुरक्षा दे सकते हैं। एल-1 फर्म एपी निर्माण ने निविदा में यूसीसी टेस्ट रिपोर्ट नहीं दी है, बल्कि एल-1 घोषित होने के बाद रिपोर्ट के लिए आवेदन किया है। अत: नियमत: ये फर्म अयोग्य है।

16 फर्में हुई सैंपल में पास

37 लोगों ने टेंडर भरा था, जिसमें 16 फर्म के सैंपल पास हुए हैं। सबको सीजीएमएससी ने लेटर जारी कर एल-1 के रेट को मैच करने को कहा था। जिसमें से सिर्फ 9 कंपनियों ने एल-1 के रेट को स्वीकार किया। अन्य कंपनियों ने शर्त यह रखी थी कि एल-1 आने वाली कंननी ने यूसीसी कोड ऑनलाइन जमा नहीं किया है। इसलिए एल-2 रेट को मानते हुए टेंडर फाइनल किया जाए। समिति के अध्यक्ष के कहने पर 8 कंपनियों ने 329 रुपए एल-1 के रेट पर सप्लाई करने की सहमति दी है। जबकि एल 2 ने 450 रुपए रेट भरा था। डीआरडीओ की वेबसाइट पर एल-1 आने वाली कंपनी की पात्रता संबंधी कोई प्रमाण नहीं है।

पीपीई किट के टेंडर में बार-बार देरी

पीपीई किट का तीसरा टेंडर 2 मई को निकाला गया। इसके पहले दो टेंडर रद्द किए गए। इस टेंडर में तकनीकी मापदंड के अनुसार निओस के साथ एन 95 मास्क मांगे गए थे, जबकि एल-1 उसमें एन 95 के बदले केएन 95 मास्क दे रहा है, जो कि चीन की कंपनी की है। कंपनी द्वारा टेंडर में लगाए गए ब्रोशर में लिखा है कि नॉन मेडिकल डिवाइस है। एन 95 मास्क के लिए नियोस का टेस्ट रिपोर्ट ही मान्य किया जा रहा है। सिट्रा, डीआरडीओ, चाइनीज मास्क को मध्यप्रदेश के टेंडर में मान्य नहीं किया गया है।

ग्लब्स के लिए भी मापदंड नहीं किया पूरा

ग्लब्स में एल-1 आने वाली कंपनी 3 एम एग्जिम ने ग्लब्स का भी कोई अधिकृत प्रमाण पत्र नहीं दिया है, फिर भी उसकी निविदा खोल दी गई है। ये कंपनी एनेग्जर बी में दिए गए मापदंड को पूरा नहीं कर रही थी। जिससे कंपनी को निविदा से बाहर किया जाने का नियम है। विभाग के टेन्डर में लिखा है, कवर के टेन्डर में शर्त रखी थी। शर्त क्रमांक 15-18 में दी गई है। जो पालन करेगा उसे ही टेन्डर में पास किया जाएगा। अन्य कंपनियों का आरोप है कि निविदा में कमेटी के सदस्यों के द्वारा दस्तावेजों का गलत परीक्षण किया जा रहा है।

एल-1 ने अपनी निविदा में बताया था कि उसने यूसीसी कोड से अप्लाई किया है। तब तक हमने सबसे कम दर पर अन्य कंपनियों को सप्लाई का आर्डर दे दिया है। एल-१ आने वाली कंपनी जैसे ही अपना यूसीसी कोड जमा कर देगी, उसे भी आर्डर दे देंगे।

राजेश सुकुमार टोप्पो, अध्यक्ष, कोविड-महामारी नियंत्रण आपदा प्रबंधन क्रय समिति

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