रेल यात्रियों ने कहा- दोगुना किराया, ज्यादा समय लेकर दी जा रही रेल सुविधा अब भी नहीं दे पाई राहत
रायपुर•Mar 06, 2021 / 06:29 pm•
dharmendra ghidode
बिलासपुर-रायपुर शाम वाली लोकल ट्रेन चालू करने की मांग
भाटापारा. बिलासपुर से शाम 4 बजकर 45 मिनट को रायपुर के लिए चलने वाली मेमू लोकल 68719 को पुन: चालू करने की मांग रेल यात्रियों ने की है। उनका कहना है की दोगुना किराया, ज्यादा समय लेकर दी जा रही रेल सुविधा अब भी राहत नहीं दे पाई है। साल भर से बंद यह लोकल 68719 नंबर से बिलासपुर रायपुर ईएमयू लोकल के नाम से चला करती थी।
बिलासपुर से शाम 4.45 पर रायपुर के लिए छूटने वाली लोकल ट्रेन बड़ा सहारा थी। ऐसे नौकरी-पेशा कर्मचारियों के लिए जो कम आय पर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
पेंशनरों के लिए यह लोकल राहत की ट्रेन बनकर चलती थी जो महीने में एक दिन पेंशन के लिए जिला मुख्यालय पहुंचते थे। समय पर काम, समय पर घर पहुंचने की यह सुविधा राहत देती थी। वरदान थी यह लोकल, उन यात्रियों, उन छोटे कारोबारियों के लिए जो रोजी-मजदूरी और फेरी लगाकर दूसरे दिन की रोटी का इंतजाम कर पाते थे। आज यह सभी सड़क पर आ चुके हैं क्योंकि बिलासपुर से रायपुर के बीच चलने वाली 68719 ईएमयू का परिचालन 1 साल से बंद है।
पेंशनरों की पीड़ा है कि माह में एक बार पेंशन के लिए जिला मुख्यालय, फिर बैंक पहुंचने के लिए घर से 2 घंटे पहले निकलना पड़ता है और काम हो जाने के 2 घंटे बाद उन्हें वापसी के लिए एकमात्र लोकल ट्रेन मिलती है। याने पैसा तो दोगुना लिया ही जा रहा है साथ ही समय भी ज्यादा लग रहा है। यदि प्लेटफार्म पर खान-पान की सुविधा रहती तो इस समस्या से निजात मिल जाती, लेकिन यह भी बंद है।
छोटी नौकरी वालों के लिए थी वरदान
यह सड़क पर रोजगार और छोटी नौकरियों के सहारे जीवन चलाने वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी बिलासपुर-रायपुर लोकल। एक वर्ष से बंद यात्री ट्रेनों के परिचालन तो चालू कर दिए गए हैं, लेकिन 68719 बिलासपुर-रायपुर लोकल को लेकर जिस तरह मौन साध लिया गया है वह ऐसे यात्रियों को पूरी तरह सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। यह वर्ग फिलहाल इंतजार ही कर रहा है, क्योंकि रेल अधिकारियों के पास ना समय है और ना ही जरूरत समझी जा रही है। बिलासपुर से रायपुर के बीच के स्टेशनों से राजधानी और न्यायधानी के लिए बड़ी संख्या में मासिक टिकट की सुविधा के साथ नौकरी पेशा और व्यापारी वर्ग आना-जाना करता था। यह सभी रेलवे की बड़ी आय का साधन बनते रहे हैं। लेकिन यह सुविधा भी अब छीनी जा चुकी है। लिहाजा यह वर्ग बेहद हताश हैं। क्योंकि न तो अधिकारी सहयोग कर रहे हैं न जनप्रतिनिधियों का सहारा मिला रहा है। इसलिए यह वर्ग सड़क मार्ग से यात्रा करने पर मजबूर है।