स्मार्ट बनने की दौड़ में शामिल रायपुर के ७० वार्डों के १० फीसदी हिस्से में भी डेंगू के वाहक एडिज व अन्य घातक मच्छरों पर नियंत्रण के लिए एंटी लार्वा का छिडक़ाव नहीं किया गया है। एंटी लार्वा अभियान के नाम पर नगर निगम में लगातार हो रहे घोटाले का नतीजा है कि एडीज मच्छरों (डेंगू का वाहक) का डंक आज लोगों की जान ले रहा है।
जमे हुए पानी और नालियों में एंटी लार्वा का छिडक़ाव महज कागजों में कैद है। कई ऐसी कॉलोनियां है, जहां एक महीने से अधिक समय तक नालियों की सफाई नहीं की गई। जनवरी से लेकर अब तक हर महीने औसतन ४ मरीजे पॉजीटिव मिल रहे हैं। स्मार्ट सिटी में डेंगू के इस कहर से निपटने के लिए अलग से स्थायी टीम नहीं है, जो कि मच्छरों पर काबू करने के लिए बनाई गई हो। निगम के सफाई कर्मचारियों को इसकी जिम्मेदारी गई है।
पत्रिका ने अपनी पड़ताल में पाया कि एंटी लार्वा का छिडक़ाव वार्डों के १० फीसदी हिस्सों में भी नहीं हो रही है। ऐसे में तय कहना गलत नहीं होगा कि यदि ऐसे हालात रहे तो भिलाई जैसा मंजर यहां भी देखने को मिल सकता है। अधिकारियों के तमाम दावों को यहां के महापौर ने ही झुठला दिया है। उनका कहना है कि नगर निगम के पास इतना संसाधन ही नहीं है कि डेंगू से निपटने के लिए पर्याप्त हो। इसके लिए राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।