संचालक ने नोटिस में संयुक्त संचालक से जानकारी मांगी है कि उनके द्वारा घरौंदा का कितनी बार निरीक्षण किया है। शासन के निर्देशानुसार माह में 4 बार निरीक्षण करना अनिवार्य है। इसके अलावा संचालक ने यह भी पूछा है कि मामले की संवेदनशीलता को नजरअंदाज करके मुख्यालय के आदेश के बाद तीन दिन बाद इस घटना को संज्ञान में लिया गया।
अब पांच दिन शेष : मामले की दंडाधिकारी जांच गुरुवार को शुरू भी नहीं हो पाई। विभागीय सूत्रों का कहना है कि गुरुवार की शाम जांच टीम के सदस्यों को अलग-अलग आदेश पत्र जारी किया गया। अहम बात यह है कि शासन के आदेश के बाद बुधवार को जांच की घोषणा की गई थी। जिसमें सात दिन के भीतर जांच के निर्देश दिए गए थे। शुक्रवार को दूसरा दिन बीतने के बाद भी जांच शुरू नहीं होने के कारण अब पांच दिन ही शेष रह गए हैं।
ये हैं टीम में : बुधवार को कलक्टर ने अपर कलक्टर विपिन मांझी की अध्यक्षता में दंडाधिकारी जांच के आदेश दिए गए हैं। इसमें डिप्टी कलक्टर राजीव पांडे, अतिरिक्त तहसीलदार अमित बेक और नायब तहसीलदार नोविता सिन्हा को टीम के सदस्य बनाया गया है।
समाज कल्याण विभाग के संचालक रजत कुमार ने बताया कि गंभीर मामला होने के मद्देनजर संयुक्त संचालक को शोकॉज नोटिस जारी किया है।