बता दें कि वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद का चुनाव हुआ। मतपत्रों की गिनती के दौरान कुछ उम्मीदवारों ने मतपत्रों से छेड़छाड़ व टेंपरिंग करने का आरोप लगाया। मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को इलेक्शन ट्रिब्यूनल जाने का निर्देश दिया। इलेक्शन ट्रिब्यूनल ने शिकायतों की जांच उपरांत मतपत्रों से कोई छेड़छाड़ नहीं होने और ना ही टेंपरिंग किए जाने की रिपोर्ट दी। 5 साल पुराने इस मामले में सिविल लाइन पुलिस ने परिषद की पूर्व सचिव मल्लिका बल को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल दाखिल किया था। इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पुलिस ने गलत तरीके से कार्यवाही की । जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने मामले में डीजीपी डीएम अवस्थी, आईजी बिलासपुर पुलिस अधीक्षक बिलासपुर एवं सिविल लाइन टीआई को तलब किया था । गुरुवार को डीजीपी अवस्थी, आईजी बिलासपुर, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर सहित अन्य अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए। सुनवाई खुली अदालत में की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रजनीश सिंह बघेल, भरत लोनिया सहित अन्य अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित थे।
गलती के लिए अफसरों के साथ वकील को भी चेतावनी सुनवाई के दौरान डीजीपी अवस्थी की ओर से कहा गया की इस कार्रवाई में सरकारी वकील से विधि अभिमत प्राप्त करने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है और इसमें पुलिस से कुछ गलती हुई। उन्होंने आगे कहा अब इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मामले को खात्मा खारिज के लिए भेजा जाएगा। डीजीपी के उक्त कथन के बाद कोर्ट ने कार्रवाई को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई। यही नहीं उन्होंने गलत अभिमत देने वाले सरकारी एडवोकेट को भी चेतावनी दी है। इसके साथ कोर्ट ने डीजीपी के उक्त कथन को नोट शीट में भी लिया है।