अच्छे संस्कार से ही इंसान के मन में शुद्ध भावना पैदा होती है। यदि इंसान, इंसान बनना सीख लें, तो यह धरती ही स्वर्ग बन जाएगी। अच्छाई इंसानियत की सर्वोपरि विशेषता व महत्ता है। बुराई के बदले अच्छाई करना हिम्मत और साहस का कार्य है। अपने प्रति की गई बुराई के बदले कुछ न कहना बहुत बड़ी विजय है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे शरीर में ईश्वर ने सिस्टम और साफ्टवेयर इंस्टाल किया है, लेकिन हमें उस सिस्टम को चलाना नहीं आता। आज भी हम अज्ञानता के वश मेंं है।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच से ही व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। संयम पथ पर आगे बढ़कर मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का लक्ष्य है। उन्होंने आगे कहा कि जीवन की सरलता ही सुखद है। व्यवहार में सरलता, विचार और आचरण में स्पष्टता बनी रहे, तो मनुष्य के जीवन में कही कुछ कठिनाईयां नहीं आएंगी।
युवा बने शालीन
युवाओं को लेकर उन्होंने कहा कि युवावस्था में सबसे अधिक आवश्यकता इस बात कही है कि इस आयु में जिंदगी अधिक सतर्कता और तत्परतापूर्वक सद्गुणों का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि युवा शालीन बनेगा तो आपसी मेलजोल और समभाव का विकास होगा। भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का सभी को दर्शन होगा।
मोक्ष जीवन का सार है। 48 सालों के बाद जैन समाज को यह मंगल अवसर प्राप्त हुआ है। गुरू भगवंतों के आगमन से यह शहर धन्य हो गया है। यह हमारे लिए यादगार पल है।
सुरेश गोलछा, अध्यक्ष दीक्षा महोत्सव समिति
मुमुक्षु बहन अंकिता लुनिया ने जैन समाज को गौरवान्वित किया है। कम उम्र में उन्होंने संयम का मार्ग का चयन कर युवाओं के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है।
राजकुमार लुनिया, वरिष्ठ
संयम का मार्ग बहुत कठिन है। आज की युवा कैरियर बनाने के लिए ज्यादा उत्साहित रहते है, लेकिन बहन अंकिता ने तप के मार्ग का अनुसरण कर हमें प्रेरणा दिया है।
मिनेश कोटडिय़ा, युवा
मुमुक्षु बहन अंकिता ने धर्म के मार्ग कैरियर बनाने का जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। इससे युवाओंं को प्रेरणा मिलेगी। सत्य और अहिंसा का पालन करना ही जैन धर्म है।
आस्था लुनिया, युवा
पारिवारिक स्थिति
उल्लेखनीय है कि मुमुक्षु बहन अंकिता लुनिया जैन समाज के संभ्रांत नागरिक देवीचंद लुनिया की सुपुत्री है। उनके दो भाई भी है। बीकॉम, आईटी, एमएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कम्प्यूटर वेबडिजाइनिंग का काम करना चाहती थी, लेकिन चातुर्मास के दौरान साध्वी मणीप्रभा के प्रवचनों का ऐसा प्रभाव पड़ा कि वह अपने जीवन को सार्थक और मोक्ष प्राप्ति के लिए संयम पथ पर अग्रसर हो गई।