पुराणों के अनुसार धनतेरस के दिन कुबेर और लक्ष्मी की साथ पूजा करने से आपके घर पर कृपा रहती है। यह त्योहार दिवाली से 2 दिन पहले यानी 27 अक्टूबर को दीपावली है और 25 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। वहीं 24 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी है।
100 साल बाद बना ऐसा संयोग
इस साल धनतेरस के दिन 100 साल के बाद ऐसा महासंयोग बन रहा है, जिसमें धनतेरस पर शुक्रवार व प्रदोष समेत ब्रह्म व सिद्धि योग रहेंगे। इससे पहले 1 नवंबर 1918 में ही ऐसा महासंयोग बना था। खास बात यह है कि भगवान कुबेर को धनाध्यक्ष की उपाधि भगवान शिवजी की कृपा से ही धनतेरस के दिन प्राप्त हुई थी। इस दिन जो भी शुभ कार्य या खरीदी की जाए वह समृद्धिकारक होती है। ज्योतिषाचार्यों ने भी बताया कि धनतेरस पर शाम को लक्ष्मी और कुबेर की पूजा व यम दीपदान किया जाता है।
धनतेरस पर स्थिर लग्न में पूजा शुरू करें (dhanteras 2019 muhurat)
वृष लग्न में शाम 6.50 से रात 8.42 बजे तक, सिंह लग्न में मध्य रात्रि 1.13 से 3.29 बजे तक, तुला लग्न वाले सुबह 5.44 से आठ बजे तक, वृश्चिक लग्न में सुबह 8.00 से 10.15 बजे तक, कुंभ लग्न में दोपहर 2.10 से 3.40 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और उनके बाद लक्ष्मी को फूल और अक्षत के साथ चंदन लगाएं। बाद में दक्षिण दिशा की ओर यमराज को जल दें। तिल का तिल जलाकर सभी की आरती करें। पूजा के पश्चात अनाज का दान करें।
झाड़ू खरीदना होगा शुभ
धनतेरस के दिन आप सोना खरीदते हैं यह अच्छी बात है लेकिन याद रहे इस दिन आप झाड़ू खरीदें। क्योंकि झाडू़ ही आपके घर द्वार को स्वच्छ रखती है। इस दिन भगवान विष्णु, राम और लक्ष्मी के चरणों का आगमन आपके घर होता है। इसलिए झाड़ू की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
ये है विशेष
चंद्र मंगल, अष्टलक्ष्मी फलदायी शुभ संयोग में आ रहा है धनतेरस।
पांच दिवसीय दीप महोत्सव का शुभारंभ 25 अक्तूबर से।
25 अक्तूबर की शाम 4.42 से 26 अक्तूबर की दोपहर 2.29 बजे तक।
धनतेरस पर रातभर है पूजा का मुहूर्त, खरीदारी दोनों दिन शुभ।
धनतेरस पर होगी आयुर्वेद के जनक धनवंतरी ऋषि की पूजा।
दीपावली-काली पूजा 27 अक्तूबर को, गोवर्धन पूजा 28 को।