इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira gandhi agricultural university) प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को विश्वविद्यालय में फसल सुधार कार्यक्रम एवं खाद्य प्रौद्योगिकी में इलेक्ट्रॉन बीम के प्रयोग की संभावनाएं तलाशने के लिए कुलपति डॉ. एस.के. पाटील की अध्यक्षता में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के बीम तकनीकी विकास समूह की वैज्ञानिक एवं एसोसिएट डायरेक्टर डॉ अर्चना शर्मा द्वारा फसल सुधार, खाद्या प्रौद्योगिकी एवं औषधीय फसलों विज्ञान के क्षेत्र में इलेक्ट्रान बीम तकनीकी के प्रयोग की संभावनाओं पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको से चर्चा की गई।
डॉ शर्मा ने इलेक्ट्रान बीम तकनीक को फसल सुधार एवं खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु उपयोगी बताया है। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में एक इलेक्ट्रान बीम सुविधा केन्द्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने इलेक्ट्रान बीम तकनीक को छत्तीसगढ़ के किसानों के वरदान बताते हुए कृषि विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रान बीम सुविधा केन्द्र स्थापित करने हेतु छत्तीसगढ़ सरकार को प्रस्ताव प्रेषित करने का आश्वासन दिया। डॉ. पाटील ने कहा कि इस सुविधा केन्द्र की स्थापना हेतु निजी क्षेत्र से निवेश भी आमंत्रित किया जा सकता है।
रंगीन हीरे बनाने के लिए इलेक्ट्रानिक बीम का उपयोग
अब लोग रंगीन हीरे (Colored diamond) बनाने के लिए इलेक्ट्रान बीम का उपयोग कर रहें हैं, इन हीरों की कीमत मूल हीरे से अधिक हैं। डॉ शर्मा ने इस तकनीकी की अनुमानित लागत 18 करोड हैं। केंद्र का निर्माण करने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र पूरी मदद करेगा।
शनिवार को कुलपति की अध्यक्षता में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के जिम्मेदारों के साथ बैठक हुई। बैठक में इलेक्ट्रान बीम केंद्र स्थापित करने का निर्णय हुआ है। विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार को प्रपोजल भेजा जाएगा।
– संजय नैय्यर, मीडिया प्रभारी, इंदिरा गांधी कृषि विश्विवद्यालय