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विधानसभा गठन से पहले छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां, जिसे शायद ही आप जानते होंगे

locationरायपुरPublished: Sep 02, 2018 07:23:15 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

क्या आपको मालूम है कि छत्तीसगढ़ गठन से पहले यह राज्य सेंट्रल प्रोविन्सेस एण्ड बरार विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था। जानिए एेसी ही कुछ रोचक जानकारियां।

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विधानसभा गठन से पहले छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां, जिसे शायद ही आप जानते होंगे

रायपुर. आजादी के बाद 1952 में हुए पहले आम चुनाव हुए थे। संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुई। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद 1 नवम्बर 1956 को नया राज्य मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विन्ध्य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी विधानसभाएं थी। उस समय छत्तीसगढ़ सेंट्रल प्रोविन्सेस एण्ड बरार विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था। पूर्व में वर्तमान महाकौशल, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बरार क्षेत्र को मिलाकर सेंट्रल प्रॉङ्क्षवसेस एण्ड बरार नामक राज्य अस्तित्व में था।
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राज्य पुनर्गठन के बाद महाकौशल और छत्तीसगढ़ का क्षेत्र यानी पूर्व मध्यप्रदेश (जिसे सेंट्रल प्रॉङ्क्षवसेस कहा जाता था) वर्तमान मध्यप्रदेश का भाग बना। इसके बाद उस क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों को भी वर्तमान मध्यप्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों में शामिल किया गया। पुनर्गठन के फलस्वरूप चारों विधानसभाओं को एक विधानसभा में समाहित हो गई।

मध्यभारत विधान सभा
ग्वालियर, इन्दौर और मालवा रियासतों को मिलाकर मई 1948 में की गई थी। ग्वालियर राज्य के सबसे बड़े होने के कारण वहां के तत्कालीन शासक जीवाजी राव सिंधिया को मध्यभारत का आजीवन राज प्रमुख एवं ग्वालियर के मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी को प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया।

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विन्ध्य प्रदेश विधानसभा
4 अप्रैल 1948 को विन्ध्यप्रदेश की स्थापना हुई और इसे ब श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया गया। सन् 1952 के आम चुनाव में यहां की विधानसभा के लिए 60 सदस्य चुनें गए, जिसके अध्यक्ष श्री शिवानन्द थे। 1 मार्च 1952 से यह राज्य उप राज्यपाल का प्रदेश बना दिया गया। पं. शंभूनाथ शुक्ल उसके मुख्यमंत्री बनें।

भोपाल विधानसभा
प्रथम आम चुनाव के पूर्व तक भोपाल राज्य केन्द्र शासन के अंतर्गत मुख्य आयुक्त द्वारा शासित होता रहा। इसमें कुल 30 विधानसभा थी। भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा एवं इस विधानसभा के अध्यक्ष सुल्तान मोहम्मद खां एवं उपाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण अग्रवाल थे।

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