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फीस को लेकर निजी स्कूल और पालकों के बीच हुए विवाद से स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने खुद को हटाया

locationरायपुरPublished: Sep 09, 2020 10:36:49 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद निजी स्कूलों ने फीस जमा करने के लिए पालकों पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है। निर्देश के बावजूद निजी स्कूल पालकों से शत प्रतिशत फीस मांग रहे हैं और फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को क्लास से बाहर करने की धमकी दे रहे हैं।

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रायपुर. हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) के निर्देश के बाद निजी स्कूलों ने फीस (Private School taking fees) जमा करने के लिए पालकों पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है। निर्देश के बावजूद निजी स्कूल (Private Schools) पालकों से शत प्रतिशत फीस मांग रहे हैं और फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को क्लास से बाहर करने की धमकी दे रहे हैं।
निजी स्कूलों की इस मनमानी को स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का साथ मिल रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदार मामला कोर्ट में होने की बात कहते हुए बयानबाजी करने व पालकों एवं निजी स्कूल प्रबंधन के बीच फैसला करने से बच रहे है। स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का मामलें में कहना है, कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर मामलें में एक्शन लिया जाएगा।

इस तरह की आ रही शिकायत
जिले के पालकों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया, कि हाईकोर्ट ने ट्यूशन फीस लेने का निर्देश दिया है। निजी स्कूल ट्यूशन फीस के साथ स्पोटर््स, कंप्यूटर, लैब और लायब्रेरी की पूरी फीस पालकों से मांग रहे है। जो पालक केवल ट्यूशन फीस जमा करने की बात कह रह ेहै, तो प्राचार्य स्कूल खर्च गिनाते हुए मामलें में लिखित शिकायत मिलने पर मैनेजमेंट से बात करने का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। पालकों ने निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर, डायरेक्टर, मंत्री और बाल संरक्षण आयोग में की थी।

बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
पालकों की शिकायत पर बाल संरक्षण आयोग (Child Protection Commission) ने पहल करते हुए प्रमुख सचिव से निजी स्कूलों की मनमानी नियंत्रित करने की बात कहते हुए जवाब मांगा है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी बच्चों को फीस के आभाव में शिक्षा से वंचित कर देने की बात को गलत ठहराया है। आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है।

फीस जमा ना करने की वजह से बच्चों को शिक्षा से वंचित नही किया जा सकता है। अध्यक्ष दुबे ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में कहा है कि अनिवार्य व नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत बच्चों को सभी तरह का लाभ मिले। साथ ही किसी भी स्तर पर बाल अधिकारों के हनन की स्थिति निर्मित ना हो, इसके भी प्रयास किये जायें।

इन इलाकों के स्कूलों की शिकायत ज्यादा
पालकों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया, कि राजधानी में सबसे ज्यादा मनमानी करने वाले स्कूल प्रबंधन में पेंशनबाड़ा, शंकर नगर, राजेंद्र नगर, विधान सभा, मोवा, देवेंद्र नगर, आमानाका, डीडी नगर और भाठागांव इलाके में संचालित निजी स्कूल शमिल है।

रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने कहा, मामला कोर्ट में है, इसलिए हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। पालक वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करें, उनके निर्देशानुसार मामलें में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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