इस तरह की आ रही शिकायत
जिले के पालकों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया, कि हाईकोर्ट ने ट्यूशन फीस लेने का निर्देश दिया है। निजी स्कूल ट्यूशन फीस के साथ स्पोटर््स, कंप्यूटर, लैब और लायब्रेरी की पूरी फीस पालकों से मांग रहे है। जो पालक केवल ट्यूशन फीस जमा करने की बात कह रह ेहै, तो प्राचार्य स्कूल खर्च गिनाते हुए मामलें में लिखित शिकायत मिलने पर मैनेजमेंट से बात करने का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। पालकों ने निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर, डायरेक्टर, मंत्री और बाल संरक्षण आयोग में की थी।
बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
पालकों की शिकायत पर बाल संरक्षण आयोग (Child Protection Commission) ने पहल करते हुए प्रमुख सचिव से निजी स्कूलों की मनमानी नियंत्रित करने की बात कहते हुए जवाब मांगा है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी बच्चों को फीस के आभाव में शिक्षा से वंचित कर देने की बात को गलत ठहराया है। आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है।
इन इलाकों के स्कूलों की शिकायत ज्यादा
पालकों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया, कि राजधानी में सबसे ज्यादा मनमानी करने वाले स्कूल प्रबंधन में पेंशनबाड़ा, शंकर नगर, राजेंद्र नगर, विधान सभा, मोवा, देवेंद्र नगर, आमानाका, डीडी नगर और भाठागांव इलाके में संचालित निजी स्कूल शमिल है।