रायपुर

पहली बार ऐसा संयोग, सिद्धि योग में मंगल पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ, 22 अक्टूबर को मनेगी छोटी दिवाली

ज्योतिषियों ने कहा, तिथियों की युति से कोई संशय नहीं, 24 को संध्याकाल अमावस्या में मनेगी दिवाली

रायपुरOct 08, 2022 / 12:45 am

Nikesh Kumar Dewangan

पहली बार ऐसा संयोग, सिद्धि योग में मंगल पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ, 22 अक्टूबर को मनेगी छोटी दिवाली

रायपुर. दिवाली पर्व को लेकर हर सेक्टर के बाजारों में रौनक है। घर-परिवारों में पुष्य नक्षत्र, धनतेरस और दिवाली पर खरीदारी करने का प्लान बनाने की रायशुमारी चल पड़ी है। क्योंकि हर कोई सर्वश्रेष्ठ, योग-संयोग और शुभ मुहुर्त में कुछ न कुछ जरूर खरीदता है। उसकी तैयारियों लोग पहले से लग जाते हैं। इसीलिए धनतेरस पर बाजारों में धनवर्षा जैसा माहौल रहता है और जब नई-नई सामग्रियां घर में पहुंचती हैं तो घर-आंगन खुशियां से दमक उठते हैं। ज्योतिषी मानते हैं कि पांच दिनी दिवाली महोत्सव मनाने में तिथियों को लेकर कोई संशय नहीं है। बल्कि तारीख वार खरीदारी और पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त बन रहा है।
शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख ज्योतिषी डॉ. इंदुभवानंद का मानना है कि जिस संयोग और नक्षत्र का काफी इंतजार रहता है वैसा ही पहली बार बन है। धनतेरस के चार दिन पहले मंगलमुखी पुष्य नक्षत्र 18 अक्टूबर को पड़ रहा है। संयोग भी सिद्धि योग का है जो सुबह से पूरे दिन रहेगा। यानी प्रात: काल से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 19 अक्टूबर को सुबह 7.25 बजे तक।
इसलिए सर्वश्रेष्ठ : दिन मंगलवार और पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस दिन खरीदी गई वस्तु सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाली भी होगी। चार चांद तब लग जाता है, जब प्रवर्धमान आम का योग हो। अत: ऐसे संयोग में खरीदी करने से धन की वृद्धि होती है।
धनतेरस 22 अक्टूबर : ज्योतिषी इंदुभवानंद महाराज के अनुसार कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी 22 अक्टूबर है। इस दिन ही अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरी प्रकट हुए थे। अर्थात दिनभर शुभ मुहूर्त में छोटी दिवाली मनेगी। संध्या पहर भगवान धन्वतरी के पूजन से घर-आंगन दीपों से जगमग होंगे। अच्छी बात यह है कि तिथियों के घट-बढ़ के कारण 23 अक्टूबर को भी खरीदारी के सर्वश्रेष्ठ महुर्त हैं, पर इस दिन चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होने की वजह से रूप चौदस के रूप में मनेगी। इसी तिथि पर भगवान ने नरकासुर का वध किया। जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
प्रदोषकाल अमावस्या पर मनेगा दीपोत्सव

24 अक्टूबर को सायं पहर में अमावस्या तिथि 5.04 बजे प्रारंभ होकर दूसरे दिन 25 अक्टूबर को दोपहर बाद 4.35 बजे तक ही है। यानी कि इस दिन संध्या पहर प्रदोषकाल नहीं है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार प्रदोषकाल की अमावस्या तिथि पर दीपोत्सव का महापर्व 24 अक्टूबर को मनेगा। इस तिथि पर खरीदारी के लिए सुबह से मुहूर्त हैं। विशेष मुहूर्त 24 अक्टूबर शाम 6.05 से रात 8.50 बजे तक वृष लग्न है तथा मध्य रात्रि में ङ्क्षसह लग्न रात में 1.22 से 3.36 बजे तक है। सायंकाल लक्ष्मी, इंद्र, कुबेर का पूजन करना चाहिए तथा मध्य रात्रि में ङ्क्षसह लग्न में अलक्ष्मी( दरिद्रता)को भगाने के लिए दीपदान, ध्वनि आदि का भी करना चाहिए।
25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण, 12 घंटे पहले सूतक प्रारंभ

ज्योतिषी पंडित यदुवंशमणि त्रिपाठी के अनुसार 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण पड़ रहा है। इसलिए 12 घंटे पहले से सूतकाल प्रारंभ हो जाता है। मंदिरों के पट इस दौरान बंद रहते हैं। यह सूर्य ग्रहण प्रदेश सहित देश के कई भागों में दिखाई देगा। चूंकि इस दिन दोपहर बाद तक अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए उदयातिथि पर अन्नकूट गोवर्धन पूजन 26 अक्टूबर को करना श्रेष्ठ है। 27 अक्टूबर को यम द्वितीया यानी भाई दूज का पर्व मनेगा।

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