scriptछत्तीसगढ़ के इस गांव में सात दिन पहले मनाया जाता है दिवाली, जानिए अनूठी परंपरा की पूरी कहानी | Diwali celebrated 7 days ago in this village of Chhattisgarh | Patrika News
रायपुर

छत्तीसगढ़ के इस गांव में सात दिन पहले मनाया जाता है दिवाली, जानिए अनूठी परंपरा की पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ का एक गांव एेसा भी है जहां सप्ताहभर पहले यानी 12 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा

रायपुरOct 11, 2017 / 07:26 pm

चंदू निर्मलकर

Hindu Festival
रायपुर/धमतरी. छत्तीसगढ़ का एक गांव एेसा भी है जहां सप्ताहभर पहले यानी 12 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। जी हम बात कर रहे हैं धमतरी जिले मुख्यालय से 35 किमी दूर सेमरा-सी गांव की। यहां के युवाओं का कहना है कि पूर्वजों से चली आ रही परंपरा को आगे भी कायम रखेंगे। गांव में सुख-समृद्धि बनी रहे, यही हम चाहते हैं। ग्राम सेमरा-सी की खासियत जिले के अन्य गांवों से अलग हैं।
diwali festival
मान्यताओं के अनुसार यहां दिवाली, हरेली, पोला और होली का त्योहार निर्धारित तिथि के एक सप्ताहभर पहले मनाया जाता है। पूरे देश में इस साल दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी, लेकिन इस गांव में बुधवार यह त्योहार मनाया जाएगा। पत्रिका टीम सालों से चली आ रही परंपरा को जानने के लिए मंगलवार को ग्राम सेमरा पहुंची। यहां के लोग दिवाली त्योहार को लेकर काफी उत्साहित नजर आए। वे घरों की साफ-सफाई, रंग-रोगन समेत अन्य कार्यों में लगे हुए थे। सिरदार देव मंदिर के समीप लोग घरों में रोशनी बिखेरने के लिए रंग-बिरंगे लाइट लगाते हुए नजर आए। बच्चे, युवक, बुजुर्ग, सभी दिवाली की तैयारी में लगे हुए थे।
diwali festival
अनूठी है परंपरा

ग्रामीण कामता राम सिन्हा, मदनलाल निषाद, मोहनलाल चक्रधारी ने बताया कि गांव में त्योहार मनाने की अनूठी परंपरा है, जिसे अभी भी कायम रखे हुए हैं। सिरदार देव यहां के अराध्य देवता है। किवंदती के अनुसार सालों पहले बैगा के सपने में आकर सिरदार देवता ने गांव की सुख-समृद्धि कायम रखने के लिए त्योहारों को निर्धारित तिथि से सप्ताहभर पहले मना लेने के लिए कहा था, लेकिन उसे नजर अंदाज कर दिया गया। त्योहार मनाने के बाद गांव में अनहोनी हो जाती थी। इसकी जानकारी होने के बाद गांव में बैठक कर सिरदार देवता के अनुसार त्योहार मनाना शुरू हुआ। फागू सिन्हा, जनकराम, मनोज देवांगन, कौशल शुक्ला, विनय सिन्हा आदि का कहना है कि दर्शन करने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं।
गांव में दिवाली त्योहार को लेकर उत्साह का माहौल है। खरीददारी पूरी हो गई है। 12 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा और 13 अक्टूबर को गौवर्धन पूजा करेंगे। रात्रि में मनोरंजन के लिए कसावही और टेडसरा का नाचा कार्यक्रम रखा गया है।
धमेन्द्र सिन्हा, ग्रामीण
सिरदार देव की कृपा से गांव में सोहाद्रर्ता का माहौल है। गोवर्धन पूजा के दिन त्योहार मनाने के लिए जोरातराई, खपरी, सिलौटी, अरकार समेत अन्य गांवों के लोग बड़ी संख्या में आते हैं।
कृपाराम सिन्हा, ग्रामीण
सप्ताहभर पहले त्योहार मनाने की पंरपरा सदियां से चली आ रही है, जिसमें आगे भी कायम रखेंगे। पूर्वजों के भरोसे टूटने नहीं देंगे। दिवाली उत्साह और उमंग का त्योहार है, जिसे साथ मिलकर मनाते हैं।
रामअवतार निषाद, ग्रामीण
सिरदार देवता के दर से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। वह सबकी मनोकना पूरी करता है। गांव में कुछ भी कार्य शुरू करने से पहले इसकी पूजा की जाती है। महिलाएं सिरदार देव के मंदिर में महिलाएं प्रवेश नहीं करती हैं।
नीलकमल निषाद
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो