मामला कुछ ऐसा है
स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में पदस्थ रहे अभियंता जेएस वालिया के खिलाफ लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। शिकायतों की लंबी फेहरिस्त के बाद कार्पोरेशन के महाप्रबंधक एमएल सिदार को जांच- पड़ताल अधिकारी बनाया गया। उन्होंने छानबीन में पाया कि वालिया प्रदेश के विभिन्न स्थानों में बनाए जा रहे भंडार गृह शाखाओं के निर्माण कार्यों में सहायक अभियंता के साथ-साथ कार्यपालन अभियंता के तौर पर काम करते हुए स्वेच्छाचारिता को बढ़ावा दे रहे थे।
जो संभव था किया
अनुशासिक प्राधिकारी एवं प्रबंध संचालक वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के एनके शुक्ल ने कहा कि देखिए मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है, फिर भी स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के रेग्यूलेशन एक्ट का पालन करते हुए हमने वालिया के कारनामों की घोर भत्र्सना की है और ग्रेज्युटी आदि रोकने का फैसला किया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि वालिया ने कार्पोरेशन को भंयकर आर्थिक क्षति पहुंचाई है। मुझसे जो संभव हो सका वह मैंने किया है।
गलत नहीं हूं मैं
सेवानिवृत्त अभियंता जेएस वालिया ने कहा कि जब हम सरकारी काम करते हैं तो कोई एक अधिकारी गलत नहीं होता। मैं भी गलत नहीं हूं। यदि यह आरोप है कि मैंने आवश्यकता से अधिक कैमरे खरीदे तो क्या इसके लिए मैं अकेला दोषी हूं। कैमरे की खरीदी के लिए तकनीकी टीम गठित थीं। फिलहाल तो वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने ही मेरा नुकसान किया है। मैंने मौलिक अधिकार के तहत वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक के पास अपील की है।