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जिस इंजीनियर ने किया करोड़ों का घपला उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं, सिर्फ ‘भर्त्सना’

locationरायपुरPublished: May 23, 2018 07:32:29 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

छत्तीसगढ़ में एक एेसा मामला सामने आया है, जहां एक करोड़ों के घपलेबाज इंजीनियर पर कार्रवाई की जगह सिर्फ ‘भर्त्सना’ की गई।

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करोड़ों के घपलेबाज इंजीनियर पर कार्रवाई नहीं, सिर्फ ‘भर्त्सना’ की

राजकुमार सोनी/रायपुर. एमपी अजब है-सबसे गजब है। एक सरकारी विज्ञापन में यह गाना टीवी पर सुनाई दे ही जाता है। छत्तीसगढ़ के लिए ऐसा कोई गाना अब तक तो नहीं बना, लेकिन इसकी गिनती भी भ्रष्टाचार पर लीपा-पोती और पर्दा डालने वाले अजब-गजब से प्रदेश के तौर पर होने लगी है। यहां के अफसरों के कारनामे भी हैरत में डाल देते हैं। फिलहाल अजब-गजब से प्रदेश के तौर पर अपनी पहचान कायम कर रहे छत्तीसगढ़ का एक अनोखा मामला यह है कि यहां के वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में पदस्थ एक सहायक अभियंता ने गलत तरीके से कार्यपालन अभियंता के पद पर सालों-साल काम किया और करोड़ों की अफरा-तफरी को अंजाम दिया। विभागीय जांच में आरोप प्रमाणित पाए गए, लेकिन कार्रवाई से पहले अफसर सेवानिवृत्त हो गया और कार्पोरेशन ने अपने आदेश में ‘घोर भर्त्सना’ लिखकर दामन दागदार होने से बचा लिया।

मामला कुछ ऐसा है
स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में पदस्थ रहे अभियंता जेएस वालिया के खिलाफ लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। शिकायतों की लंबी फेहरिस्त के बाद कार्पोरेशन के महाप्रबंधक एमएल सिदार को जांच- पड़ताल अधिकारी बनाया गया। उन्होंने छानबीन में पाया कि वालिया प्रदेश के विभिन्न स्थानों में बनाए जा रहे भंडार गृह शाखाओं के निर्माण कार्यों में सहायक अभियंता के साथ-साथ कार्यपालन अभियंता के तौर पर काम करते हुए स्वेच्छाचारिता को बढ़ावा दे रहे थे।

अपनी पड़ताल में सिदार ने यह भी पाया कि वालिया ने जांजगीर-चांपा के अनुभवहीन ठेकेदार संतोष कुमार को निर्माण कार्य के लिए योग्य बताते हुए अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिया था। बाद में ठेकेदार ने वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन से मिले प्रमाण पत्र के आधार पर जल संसाधन विभाग में बड़ा ठेका हासिल कर लिया। इतना ही नहीं वालिया ने प्रदेश के ओरछा, सूरजपुर, विश्रामपुर, अंबिकापुर, बैकुंठपुर और लैलूंगा में गोदाम निर्माण करने वाले ठेकेदारों को गोदाम का निर्माण करने से पहले ही 80 फीसदी राशि का भुगतान भी कर दिया था। कार्पोरेशन ने सुरक्षा की दृष्टि से गोदामों में मात्र छह सीसीटीवी कैमरा लगाना तय किया था, लेकिन वालिया ने एक करोड़ 76 लाख के सीसीटीवी कैमरे खरीद लिए।
सिदार ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ तौर पर लिखा है कि वालिया ने कई बार नियमों की अवहेलना करते हुए स्टेट वेयर कार्पोरेशन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। सिदार ने स्टेट वेयर कार्पोरेशन को अपनी रिपोर्ट 8 अगस्त 2017 को पेश की, लेकिन कार्पोरेशन ने करोड़ों का घालमेल करने वाले वालिया के खिलाफ किसी भी तरह की एफआईआर दर्ज करवाने की जहमत नहीं उठाई और भर्त्सना लिखकर इतिश्री कर ली। फिलहाल करोड़ों का वारा-न्यारा करने वाले वालिया सितम्बर 2017 को सेवानिवृत हो चुके हैं।

जो संभव था किया
अनुशासिक प्राधिकारी एवं प्रबंध संचालक वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के एनके शुक्ल ने कहा कि देखिए मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है, फिर भी स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के रेग्यूलेशन एक्ट का पालन करते हुए हमने वालिया के कारनामों की घोर भत्र्सना की है और ग्रेज्युटी आदि रोकने का फैसला किया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि वालिया ने कार्पोरेशन को भंयकर आर्थिक क्षति पहुंचाई है। मुझसे जो संभव हो सका वह मैंने किया है।

गलत नहीं हूं मैं
सेवानिवृत्त अभियंता जेएस वालिया ने कहा कि जब हम सरकारी काम करते हैं तो कोई एक अधिकारी गलत नहीं होता। मैं भी गलत नहीं हूं। यदि यह आरोप है कि मैंने आवश्यकता से अधिक कैमरे खरीदे तो क्या इसके लिए मैं अकेला दोषी हूं। कैमरे की खरीदी के लिए तकनीकी टीम गठित थीं। फिलहाल तो वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने ही मेरा नुकसान किया है। मैंने मौलिक अधिकार के तहत वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक के पास अपील की है।

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