स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ.आशीष कुमार सिन्हा ने बताया कि वायरल फीवर के आ रहे मरीजों में से 50 प्रतिशत के गले में संक्रमण मिल रहा है। खांसी की यही मुख्य वजह है। 30 प्रतिशत मरीजों को हैवी एंटी बायोटिक देना पड़ रही है।
डॉक्टर सिन्हा ने बताया कि कई मरीज बुखार आने के बाद दवाई दुकान से सीधे दवा लेकर सेल्फ मेडिकेशन करते हैं। तीन-चार दिनों में आराम नहीं मिलने पर ही हॉस्पिटल पहुंचते हैं। इसका बुरा असर रोग प्रतिरोधी क्षमता पर हो रहा है। मरीज को ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवाइयों की कमी नहीं है। यहां डॉक्टर भी है, लेकिन मरीज सरकारी अस्पताल जाने के बजाय प्राइवेट अस्पतालों में जाकर इलाज कराना उचित समझ रहे हैं। यही कारण है कि सरकारी अस्पताल से निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक है। निजी पैथालैब संचालकाों ने बताया कि चार मरीजों के पीछे एक मरीज पीलिया का होता है। यह स्वास्थ्य अमले के साथ ही लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संक्रामक रोगों से बचना है, तो बहुत ही नियम-कायदों और परहेज के साथ चलना पड़ेगा। छींकने और खांसने वालों से 5 फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी। इन दिनों सिनेमा देखने या अन्य ऐसी जगह पर जाने से बचना चाहिए। ऑफिस में काम करने वाले भी ध्यान दें यदि किसी को संक्रमण है, तो उसे छुट्टी दिलवाई जाए। यदि किसी बच्चे को संक्रमण हो, तो उसे कुछ दिनों के लिए स्कूल से छुट्टी दे दी जाए।
– उबला हुआ पानी पीएं। – फल खाएं और जूस पीएं।
– खाली पेट बिल्कुल न रहें। – सूप का सेवन न करें।
– धूप में अधिक देर न रहें।
– मच्छरदानी लगाकर सोएं।