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डॉक्टर बोले – संक्रमण से बचना है तो हाथ मत मिलाओ, नमस्कार से काम चलाओ

locationरायपुरPublished: Sep 15, 2017 08:49:07 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

यदि संक्रामक रोगों से बचना है, तो बहुत ही नियम-कायदों और परहेज के साथ चलना पड़ेगा। छींकने और खांसने वालों से 5 फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी।

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डॉक्टर बोले – संक्रमण से बचना है तो हाथ मत मिलाओ, नमस्कार से काम चलाओ

तिल्दा-नेवरा. स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी शहर में वायरल बुखार का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना वायरल फीवर और सर्दी-खांसी के 200 से ज्यादा मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। वही अस्पतालों में 100 से ज्यादा मरीज बुखार के भर्ती हैं। यह खुलासा शहर के अस्पतालों की ओपीडी और ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे मरीजों के आंकड़ों की पड़ताल में हुआ है।
डॉक्टरों का कहना है कि शहर के तापमान में बार-बार उतार-चढ़ाव होने की वजह से वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। डॉक्टर के मुताबिक बार-बार अलर्ट जारी करने के बाद भी सर्दी-खांसी और बुखार से पीडि़त मरीज इलाज को लेकर गंभीर नहीं है। शहर में वायरल फीवर से पीडि़त 50 प्रतिशत मरीज अस्पताल में इलाज कराने की जगह सेल्फ मेडिकेशन कर रहे हैं। इसी वजह से 3 दिन में ठीक होने वाला बुखार 5 दिन में जा रहा है।
50 प्रतिशत मरीजों को गले का संक्रमण
स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ.आशीष कुमार सिन्हा ने बताया कि वायरल फीवर के आ रहे मरीजों में से 50 प्रतिशत के गले में संक्रमण मिल रहा है। खांसी की यही मुख्य वजह है। 30 प्रतिशत मरीजों को हैवी एंटी बायोटिक देना पड़ रही है।
ज्यादातर मरीज देरी से पहुंच रहे अस्पताल
डॉक्टर सिन्हा ने बताया कि कई मरीज बुखार आने के बाद दवाई दुकान से सीधे दवा लेकर सेल्फ मेडिकेशन करते हैं। तीन-चार दिनों में आराम नहीं मिलने पर ही हॉस्पिटल पहुंचते हैं। इसका बुरा असर रोग प्रतिरोधी क्षमता पर हो रहा है। मरीज को ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है।
सरकारी से अधिक प्राइवेट अस्पतालों में इलाज
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवाइयों की कमी नहीं है। यहां डॉक्टर भी है, लेकिन मरीज सरकारी अस्पताल जाने के बजाय प्राइवेट अस्पतालों में जाकर इलाज कराना उचित समझ रहे हैं। यही कारण है कि सरकारी अस्पताल से निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक है। निजी पैथालैब संचालकाों ने बताया कि चार मरीजों के पीछे एक मरीज पीलिया का होता है। यह स्वास्थ्य अमले के साथ ही लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
हाथ मत मिलाओ, नमस्कार से काम चलाओ
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संक्रामक रोगों से बचना है, तो बहुत ही नियम-कायदों और परहेज के साथ चलना पड़ेगा। छींकने और खांसने वालों से 5 फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी। इन दिनों सिनेमा देखने या अन्य ऐसी जगह पर जाने से बचना चाहिए। ऑफिस में काम करने वाले भी ध्यान दें यदि किसी को संक्रमण है, तो उसे छुट्टी दिलवाई जाए। यदि किसी बच्चे को संक्रमण हो, तो उसे कुछ दिनों के लिए स्कूल से छुट्टी दे दी जाए।
डॉ.भोजराम मोहनानी का कहना है कि कोई भी संक्रामक रोग हो, तो वह दो से तीन दिनों तक परेशान करता है। इस दौरान यदि आपने डॉक्टर से सलाह ले ली, तो डरने की कोई बात नहीं है। बस आराम करने और पौष्टिक भोजन करने की जरूरत है। बुखार के लिए पैरासिटामाल दिया जा सकता है। परेशानी अधिक हो, तो चिकित्सक के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए।
बचाव के लिए ये करें :
– उबला हुआ पानी पीएं।

– फल खाएं और जूस पीएं।
– खाली पेट बिल्कुल न रहें।

– सूप का सेवन न करें।
– धूप में अधिक देर न रहें।
– घर में साफ-सफाई रखें।
– मच्छरदानी लगाकर सोएं।

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