आयुष भवन में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों तथा सैंपल जांच के लिए बनाए गए लैब में मौजूद सुविधाओं और कमियों की जांच पड़ताल इन्हीं के कंधों पर है। आइसोलेशन वार्ड में मौजूद डॉक्टरों को कोई दिक्कत होती है तो इन्हीं से सलाह लेते हैं। सुबह जब यह घर से निकलते है तो पत्नी डरी-सहमी रहती हैं लेकिन डॉ. अजय बेहरा का कहना है कि यदि हम ही डर जाएंगे तो मरीजों का क्या होगा?
जब सेनापति मजबूत रहेगा तभी तो युद्ध में विजय मिलेगी। महाभारत का युद्ध १८ दिनों तक चला था। कोरोना का युद्ध भी करीब एक माह से चल रहा है। देखते हैं कब तक चलता है लेकिन जीत तो हमारी ही होगी। डॉ. अजय ने बताया कि मेरे काम में जोखिम को देखते हुए पत्नी व परिजन कई बार कहते हैं कि छुट्टी ले लो। मैं समझाता हूं कि जब पुलिसकर्मी, अन्य डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो मैं कैसे घर पर बैठ सकता हूं। यदि मैं ही डर के घर बैठ गया तो मरीजों को कौन देखेगा। ये हमारी जिम्मेदारी है। डॉ. अजय ने बताया कि आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों, दवाओं और अन्य सुविधाओं की निगरानी रखनी पड़ती है।
मरीज के पास जाकर हालचाल जानना पड़ता है। लैब में जाकर सैंपल रिपोर्ट भी देखनी पड़ती है। हालांकि, उन्होंने बताया कि वह जब भी आइसोलनेश वार्ड में जाते हैं ग्लब्स, टोपी, मास्क, चश्मा (कोरोना वायरस के लिए बनाए गया विशेष प्रकार का) और पीपीईटी कीट पहनकर ही अंदर जाते हैं। थोड़ी सी लापरवाही खतरनाक हो सकती है। लोगों को भी लॉक डाउन का पालन करना चाहिए।
घर लौटने में होती है देर तो आने लगते हैं कॉल
डॉ. अजय बेहरा ने बताया कि सुबह 8 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक वह एम्स में रहते हैं। कभी-कभी तो रात 10 बज जाते हैं। विलंब होने पर पत्नी का कॉल आने लगता है। वह पूछने लगती है कि सब ठीक तो है, विलब क्यो हो रहा है? डॉ. अजय बेहरा ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए एम्स प्रबंधन पूरी तरह से तैयार है। डायरेक्टर प्रो. (डॉ) नीतिम एम नागरकर और अधीक्षक डॉ. करन पीपरे ने उनके ऊपर जो विश्वास जताया है, उसको पूरा करेंगे।