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रायपुर

कोरोना के इन मरीजों को कहां, कैसे और किससे मिला है वायरस, नहीं लग पा रहा पता

स्वास्थ्य विभाग की राज्य और जिला स्तरीय कांटेक्ट टीम की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 80 से 85 प्रतिशत संक्रमित लोग ए-सिम्पेटैमेटिक होते हैं यानी उनमें लक्षण नहीं होते। मगर, इनसे वायरस स्प्रेड की संभावना अधिक रहती है। अफसरों के मुताबिक लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे कोरोना ग्रसित हो चुके हैं।

रायपुरJul 15, 2020 / 11:39 pm

Karunakant Chaubey

रायपुर. प्रदेश में अब तक 4400 से ज्यादा संक्रमित मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 5 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं, जिनको कोरोना वायरस कब, कहां और किससे मिला इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है। यानी इन मरीजों की कोई विदेश यात्रा, अंतरराज्यीय यात्रा या फिर किसी संक्रमित मरीजों से संपर्क की कोई हिस्ट्री नहीं है। ऐसे ही मरीज अब खतरा साबित हो रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोग घर बैठे-बैठे ही संक्रमित हुए। जिनमें बुजुर्ग, गृहणियां और बच्चों की संख्या सर्वाधिक है।

स्वास्थ्य विभाग की राज्य और जिला स्तरीय कांटेक्ट टीम की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 80 से 85 प्रतिशत संक्रमित लोग ए-सिम्पेटैमेटिक होते हैं यानी उनमें लक्षण नहीं होते। मगर, इनसे वायरस स्प्रेड की संभावना अधिक रहती है। अफसरों के मुताबिक लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे कोरोना ग्रसित हो चुके हैं। ऐसे में एक ही विकल्प है कि हम सजग रहें। सर्दी, जुकाम और बुखार को नजर अंदाज न करें। घर-घर कोरोना सर्वे हो रहा है। बगैर छिपाए पूरी जानकारी सर्वे टीम को दें।

घर से बाहर निकलें तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें-

– किसी अनजान व्यक्ति से न मिलें। अगर मिलें तो २ मीटर की दूरी, मास्क लगाकर ही मिलें। हाथ कतई न मिलाएं।

– ठेले में किसी भी प्रकार का सामान बेचने और फेरी वालों से दूर बनाकर रखें।
– कोशिश करें कि इस सामान्य बीमारी होने पर डॉक्टर से मोबाइल या फिर व्हाट्सएप या वीडियो कॉलिंग के जरिए सलाह लें।

– घर से बाहर निकलें तो बाहरी किसी भी चीज को छूएं न, जैसे- अस्पतालों या अन्य संस्थानों में चढऩे-उतरने के लिए लगी रेलिंग, लिफ्ट या अन्य चीजों को।

संक्रमित मरीज के हाई रिस्क और लो रिस्क कांटेक्ट-

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी जिला प्रशासन और जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को गाइड-लाइन जारी की गई है। इसमें उल्लेख है कि वे संक्रमित मरीजों के संपर्क वाले लोगों को हाई रिस्क और लो रिस्क केटेगरी में बांटे। हाई रिस्क वालों में अगर लक्षण दिखाई दे तो तत्काल सैंपल लें, लक्षण नहीं दिखता है तो क्वारंटाइन करें। लो रिस्क वालों के सैंपल लेने की आवश्यकता नहीं है। इसे प्राइमरी और सेकंडरी कांटेक्ट भी कहा जा सकता है। सेकंडरी कांटेक्ट के सैंपल नहीं लेने हैं न ही सैंपलिंग करनी है, जब तक की प्राइमरी कांटेक्ट पॉजिटिव न आए।

(जैसा की राज्य स्तरीय कांटेक्ट ट्रेसिंग टीम के सदस्य डॉ. कमलेश जैन ने बताया।)

बड़ी संख्या में ऐसे मरीज हैं जिनके संक्रमित होने का कारण पता नहीं लग सका है। अब समुदाय में ऐसे लोगों को ढूंढऩे और ऐसे संक्रमण को रोकने के लिए डोर टू डोर सर्वे करवाया जा रहा है।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग

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