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महिलाएं साल में कम से कम एक बार जरूर चेकअप कराएं

locationरायपुरPublished: Dec 15, 2019 12:26:47 am

Submitted by:

Tabir Hussain

मेनोपॉज और बच्चेदानी के कैंसर पर डॉक्टरों की राय

महिलाएं साल में कम से कम एक बार जरूर चेकअप कराएं

जेल रोड स्थित होटल में हैल्थ से जुड़ी जानकारी देते डॉक्टर्स।

रायपुर. बच्चेदानी का कैंसर अब कम उम्र में भी देखने को मिल रहा है। पहले कहा जाता था कि 40 के बाद ही कैंसर होता है लेकिन यंग एज में ही होने लगा है। इसलिए हर महिला को हर 3 साल में कॉल्पोस्कोपी जरूर करानी चाहिए। यह सिंपल सा टेस्ट है जो किसी भी अस्पताल में कराया जा सकता है। महिलाओं के साथ दिक्कत ये है कि जब तक वे तभी अस्पताल जाती हैं जब कोई तकलीफ बढ़ जाती है। वे कभी नहीं कहतीं कि मेरा रूटीन चेकअप कर लो। साल में अपने जन्मदिन में ही रुटीन चेकअप करा लेना चाहिए। अगर उस दिन सेलिब्रेशन में व्यस्त हों तो उसके एक दो दिन बाद कराएं। यह कहना था अंबेडकर हॉस्पिटल की डॉ तृप्ति नागरिया का। शुक्रवार को जेल रोड स्थित होटल में रायपुर मेनोपॉज सोसायटी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे अवेयरनेस पर बोल रहीं थीं। उन्होंने कहा कि यह कैंसर दर्दनाक होता है लेकिन इससे आसानी से बचाया जा सकता है। एचबीडी वायरस के कारण यह कैंसर होता है। इसके कारणों में अर्ली एज में शादी, कम उम्र में सेक्स, मल्टीपल पार्टनर। इसकी यूनिवर्सल स्क्रीनिंग होनी चाहिए। बड़ी उम्र में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए युवावस्था में ध्यान देना होगा। आजकल टीनेज गर्ल जंकफूड ज्यादा खाती हैं। एक्सरसाइज कम हो गई है। धूप में निकलना कम कर दिया है। अगर जाती हैं तो हाथ-पाव पूरी तरह ढंककर। इससे उन्हें विटामिन डी नहीं मिल पाता। इस दौरान सोसायटी के प्रेसीडेंट डॉ मनोज चेलानी, सेक्रेटरी डॉ सुषमा वर्मा, पास्ट प्रेसीडेंट डॉ ज्योति जायसवाल और ट्रेजर डॉॅ गुरप्रीत कौर सोनी भी उपस्थित थीं।

डाइट में हो प्रोटीन, सोया और दूध

डॉ सुषमा वर्मा ने कहा, महिलाएं छोटी-छोटी सावधानी से खुद को फिट रख सकती हैं। खाने में प्रोटीन, सोया, दूध, कार्बोहाइडे्रड कम करना, शुगर की मात्रा कम करना, लाइफस्टाइल, रेगुलर व्यायाम, मेडिटेशन से आरामदायक जीवन जी सकती हैं। 25 से 35 प्रतिशत महिलाओं को 50 साल के बाद हड्डी कमजोर होने लगती है। कमर और घुटने में दर्द होने लगता है। छोटे-छोटे फ्रैक्चर होते हैं जिसका पता नहीं चलता।

बेहोश करने की भी जरूरत नहीं
डॉ मनोहर चेलानी ने कहा कि जल्द ही स्क्रीनिंग से बच्चेदानी के मुंह का कैंसर डिडेक्ट हो जाता है। इसमें बेहोशी की जरूरत भी नहीं। शुरुआत से पहले ही जानकारी मिल सकती है। 15 से 20 मिनट में इलाज संभव है। मेनोपॉज के दौरान कमर दर्द, डिप्रेशन, बिना वजह से दुखी होना, चिड़चिड़ापन होने लगता है।

अवेयरनेस की कमी

डॉ ज्योति जायसवाल ने कहा कि कॉल्पोस्कोपी की जांच 21 साल से ही शुरू कर देनी चाहिए। अगर कम समय में ही बच्चेदानी का कैंसर पकड़ में आ जाए तो त्वरित इलाज संभव है। अवेयनेस की कमी के चलते महिलाएं इस पर ध्यान नहीं देतीं। उन्हें लगता है कि बच्चेदानी निकालने कहा जाएगा। वे डर जाती हैं। जबकि कैंसर नहीं होगा तो इसे निकालने की जरूरत नहीं।

हार्मोन सप्लीमेशन वरदान

डॉ गुरप्रीत कौर ने कहा- मेनोपॉज के वक्त हम हार्मोनल बदलाव को नेचुरल मानते हैं। लेकिन जब ये परेशानी शरीर पर असर डालने लगे हार्मोन सप्लीमेंशन वरदान साबित होता है। महिलाओं के मन में डर है कि हार्मोन लेने से कैंसर होगा। हार्मोन हर महिला को देने के लिए नहीं है। जिनमें जरूरी है उनें देना चाहिए। इससे कई समस्याएं जो यूरिन से रिलेटेड इन्फेक्शन से होती है, उससे निजात मिल सकती है। वे किसी से शेयर भी नहीं करती। स्क्रीनिंग नहीं कराने के कारण लाखों महिलाएं सालभर में मरती हैं।
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