डाइट में हो प्रोटीन, सोया और दूध
डॉ सुषमा वर्मा ने कहा, महिलाएं छोटी-छोटी सावधानी से खुद को फिट रख सकती हैं। खाने में प्रोटीन, सोया, दूध, कार्बोहाइडे्रड कम करना, शुगर की मात्रा कम करना, लाइफस्टाइल, रेगुलर व्यायाम, मेडिटेशन से आरामदायक जीवन जी सकती हैं। 25 से 35 प्रतिशत महिलाओं को 50 साल के बाद हड्डी कमजोर होने लगती है। कमर और घुटने में दर्द होने लगता है। छोटे-छोटे फ्रैक्चर होते हैं जिसका पता नहीं चलता।बेहोश करने की भी जरूरत नहीं
डॉ मनोहर चेलानी ने कहा कि जल्द ही स्क्रीनिंग से बच्चेदानी के मुंह का कैंसर डिडेक्ट हो जाता है। इसमें बेहोशी की जरूरत भी नहीं। शुरुआत से पहले ही जानकारी मिल सकती है। 15 से 20 मिनट में इलाज संभव है। मेनोपॉज के दौरान कमर दर्द, डिप्रेशन, बिना वजह से दुखी होना, चिड़चिड़ापन होने लगता है।
अवेयरनेस की कमी
डॉ ज्योति जायसवाल ने कहा कि कॉल्पोस्कोपी की जांच 21 साल से ही शुरू कर देनी चाहिए। अगर कम समय में ही बच्चेदानी का कैंसर पकड़ में आ जाए तो त्वरित इलाज संभव है। अवेयनेस की कमी के चलते महिलाएं इस पर ध्यान नहीं देतीं। उन्हें लगता है कि बच्चेदानी निकालने कहा जाएगा। वे डर जाती हैं। जबकि कैंसर नहीं होगा तो इसे निकालने की जरूरत नहीं।हार्मोन सप्लीमेशन वरदान
डॉ गुरप्रीत कौर ने कहा- मेनोपॉज के वक्त हम हार्मोनल बदलाव को नेचुरल मानते हैं। लेकिन जब ये परेशानी शरीर पर असर डालने लगे हार्मोन सप्लीमेंशन वरदान साबित होता है। महिलाओं के मन में डर है कि हार्मोन लेने से कैंसर होगा। हार्मोन हर महिला को देने के लिए नहीं है। जिनमें जरूरी है उनें देना चाहिए। इससे कई समस्याएं जो यूरिन से रिलेटेड इन्फेक्शन से होती है, उससे निजात मिल सकती है। वे किसी से शेयर भी नहीं करती। स्क्रीनिंग नहीं कराने के कारण लाखों महिलाएं सालभर में मरती हैं।